तुमसे ही सब सिंगार है मेरे,
अब तुम से ही माथे की बिंदिया मेरी
एक तेरा एहसास ही,
खुशियों से भर जाता है मानों झोली मेरी
मेरे व्रत और पूजा तुझे हैं अर्पित,
मेरा तन-मन तुझे समर्पित
तुम रहो सलामत साजन मेरे,
बस एक यही आरज़ू है मेरी
माना सात फेरे ना ले पाई फिर भी
सात जन्म की कसमें खाई
न छोडूंगी कभी साथ मैं तेरा
जब तक सांस आखिरी रहेगी मेरी
लगता है कभी जब डर मुझको तुम,
हाथ पकड़ यूं थाम लेते हो
समझकर हर उलझन को
एक बस तुम ही सुलझाते अब मेरी
सुनो जी! मेरी हर खुशी, हर बात तेरी,
जिसे पल-पल लेती वो सांस है तेरी
पल भर नहीं कट पाता अब तेरे बिन,
मेरी धड़कनों से आती है आवाज़ है तेरी
सीमा शर्मा ‘तमन्ना
नोएडा, उत्तर प्रदेश