अनामिका गुप्ता
आयो रे मनभावन फागण
ढोल ताशे की मस्ती है
गीतों में झूमीं बस्ती है
नीला पीला कहीं हरा गुलाबी
ननद भौजाई और देवर भाभी
सजनी और सांवरिया, हां जी
रंग डालो रे तन मन सारे
खुशियों के रंग बरसे, हां जी
भरभर कर छोड़ो पिचकारी
आने दो गुलाल की बारी
गली कूचे और हर नुक्कड़ पे
रह न जाये कोई नर नारी
चढ़ा है सबपे मस्ती का रंग
नाच रहे हैं पीके भंग
बज रहे ढोल थाप और चंग
खूब मचाओ सब हुड़दंग
हींग कचौड़ी मारे चटखारे
गुझिया ख़ाके होश उडा़ रे
स्वाद मस्ती में घुल मिल जाओ
होली के रंग में सब रंग जाओ