वंदना पराशर
भावनाओं को शब्दों में बाँधने की
एक कोशिश है कविता
आकुल मन की पुकार है कविता।
भावनाओं के अथाह सागर के ऊपर
कोमल, कठोर शब्दों की बाँध है कविता
सुख-दुख के क्षणों में,
आत्मा का दर्पण है कविता
बच्चों की दूधिया दाँत से
खनकती मधुर किलकारियाँ हैं कविता
नवेली दुल्हन के पायल की झंकार है कविता
भूख भूख चिल्लाते,
थककर बेजान हुई जिंदगियों की
एक करुण आह है कविता
तलाश अपनों की
तलाश अपनों की
जारी है
दौड़ लम्बी है
छलाँग की नहीं यहाँ
हौसले की ज़रूरत है
मंज़िल ख़ुद-ब-ख़ुद पास होगी
साथ अपने होंगे
तलाश जारी है