हर किसी का अपना-अपना
सीमित संसार है
हर किसी के अपने-अपने दुख-दर्द
हर कोई अपनों-अपनों से आबद्ध है
हर घड़ी कोई
नहीं लड़ पाता
किसी दूसरे की लड़ाई
जीवन की बहुत सारी लड़ाइयां
अकेले ही लड़नी पड़ती हैं
हम क्यों कहें?
कि उसने साथ नहीं दिया मेरा
ऐन वक़्त पर किया गया छल
किससे और किस बात का गिला किया जाये ?
जब तुम अपनी लड़ाई में लीन थे
सम्भव है उस समय वह
तुमसे बड़ी किसी दूसरी लड़ाई के
चक्रव्यूह में घिरा हो अकेला।
जसवीर त्यागी