अनामिका गुप्ता
लौह पटरी पर लौह पथ गामिनी
क्या इस तरह यूं टकराएगी
जिंदा मानव की लाशें
बन चिथड़े-चिथड़े उड़ जायेंगी
तूफां सी चलती सरपट
एक तूफां ऐसा लायेगी
होगा खूनी दुर्दांत सा मंजर
मानवता भी आंसू बहायेगी
किसी का लाल बिछड़ गया
सिंदूर किसी का उजड़ गया
पत्नी विहीन हो गया पति
मां-बाप किसी के बिछड़ गए
रोती धरती सहमा अंबर
क्या न्याय कोई कर पाएगा
बिछड़ गए जिनके अपने
क्या वापस कोई ला पाएगा?