होरी रचे गोविंदा कदम तर
मुट्ठी भर-भर गुलाल उड़ावे
धरती-गगन होवे लाले लाल
तन-मन से रंगी सब सखियां
राधा के नखरा आज हैं भारी
ललिता करे अठखेली
राधा का सुकोमल तन भीगे है
ललिता की कोरी अचरा भीगे है
रुक्मणी का हृदय आज जुडाय
हरी-हरी चूड़ी राधा कलाई
बहियाँ ममोर दिये बनवारी
चूड़ी देवे चटकायी
ग्वाल बाल सब उमंग मनावत
नंद बाबा के मुरैठा भीगे है
यशोदा मईया हर्षायीं
राधा कहे मोहन तुम हो हमारे
ललिता कहे हम कान्हा प्यारी
रुक्मणी ले गयी मोहन चुराय
कल्पना रच प्रार्थना विहसी
मोहन संग मन ही मन खेली होरी
मन ही मन में लजायी
प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश