मरकर भी जिंदा है श्रद्धा: अनामिका गुप्ता

अनामिका गुप्ता

श्रद्धा में श्रद्धा अपार
श्रद्धा ने किया श्रद्धा से प्यार
मगर
उस प्यार को न प्यार स्वीकार

सारी दुनिया से रूठ गई
श्रद्धा की श्रद्धा टूट गई
क्या जुर्म था उसका भोला प्यार
जो जीना हुआ उसका दुश्वार
दगा दिया क्यूं दगाबाज ने
धिक्कारा नहीं क्या अन्तर्मन की आवाज ने
छलिया ने छल से छल डाला
अस्मत को टुकड़े टुकड़े कर डाला
क्या तनिक लाज तुमको नहीं आई
क्या बंद हो गई इतनी आंखें
इन्सानियत भी नहीं देती दिखाई
कहां खो गया नारी सम्मान
क्यूं संस्कारों का ऐसा घोर अपमान
जिस्म के टुकड़े रूह के टुकड़े
लाज के टुकड़े
श्रद्धा के टुकड़े
मगर
दिलों में बसी है आज भी श्रद्धा
मरकर भी जिंदा है श्रद्धा
न्याय मिलेगा तुमको श्रद्धा
जीतेगी हर हाल में श्रद्धा