मातृभाषा: गौरीशंकर वैश्य

मातृभाषा माँ की बोली
सबकी प्यारी है दुधबोली

माँ की भाषा में जब बोलें
ज्यों कानों में मिश्री घोलें

माँ की ममता, माँ का प्यार
देता चिंतन का आधार

ध्वनि है सरस मधुर संगीत
सहज हृदय लेती है जीत

हर्ष, प्रेम, दुःख अथवा क्रोध
निज भाषा में देता बोध

माँ से प्राप्त मातृभाषा
जीवन की मंगल आशा

मातृभाषा करें प्रयोग
दूर करें अँग्रेजी रोग

करें मातृभाषा संरक्षित
कभी न समझें इसे उपेक्षित

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश- 226022
संपर्क- 09956087585