जहां बक्शने वाले से,
ये मेरा सवाल है,
हे उपरवाले,
तूने ये क्या गजब किया,
तस्वीर तो दे दी,
तकदीर क्यों भूल गया
मैं पूछता हूँ तुझसे,
ये आखिर कैसा मज़ाक किया,
जो दे रहा था धड़कने को दिल,
फिर साथ में दर्द क्यों दिया
जो देना ही था तो,
सिर्फ मुस्कराहट ही देता,
साथ में आँखों को अश्क क्यों दिया,
जब दे रहा था मोहब्बत,
दिलों में नफरत क्यों दिया
तूने उजाले को दिन,
अँधेरे को रात ही क्यों दिया,
जब जुबान दी ही थी तो,
अधूरी बात ही क्यों दिया
ज़िन्दगी में मिले एक तरफ जीत,
दूसरी तरफ मात ही क्यों दिया,
जो सच ही न हो सके,
ऐसा ख्वाब ही क्यों दिया
जब पूछ ही न सकूं,
तो दिल में सवाल ही क्यों दिया,
जो मैं मान ही न सकूं,
ऐसा जवाब ही क्यों दिया
अभिजीत सिन्हा
स्क्रीन राइटर एसोसिएशन मेंबर