अनामिका सिंह
मुजफ्फरनगर
उत्तर प्रदेश
दालान में खड़े
बूढ़े नीम जैसे है अब पिता
छाया तो देते है
पर चल नही पाते
दूर से दिखती
टकटकी जैसे है अब पिता
लगता है कि दिखते है
पर नजर नही आते
गोधूलि में उठती हुई
महक जैसे है अब पिता
दुनिया में नही है
मगर घर से नही जाते