अर्से बाद आज मिले हो हमसे
क्या बात है ऐसी कि बने हुए हो बेगाने
नया तो नहीं है ये रिश्ता हमारा
हमारा-तुम्हारा है बरसों का नाता
जो तुम दिखा रहे हो बेरुखी पास आके
दूर जाके मुस्कुराओ तो हम जाने
ये मुमकिन नहीं है कि तुम भूल जाओ हमें
भुलाने में हमें कई जन्म लगेंगे
याद दिलाती रहूँगी वादे पुराने
भले ही बात मेरी मानो या ना मानो
कभी फूल बनकर बरसते थे मुझपे
कहां गये वो वादे, कसमें, वफ़ा के
चाँद तारों से सजाते थे आँचल हमारा
हमीं से आज बने हुए हो अनजाने
इक दूजे के दिलों में बनाये थे आशियाने
हकीक़त बता रही हूँ, मैं झूठी नहीं हूँ
तुम जो कह दो बदल दें मिज़ाज हवाओं का
आँधियों बीच फिर से इश्क़ का चिराग जला दें
इश्क़ ने तेरी हमें मुसाफ़िर बना दिया
गली दर गली के बंजारे बन फिर रहें हैं
प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश