रूची शाही
मेरी हर खामोशी को शब्द शब्द पढ़ लेता है
मैं उसपर चिल्लाती हूँ वो चुपचाप सुन लेता है
फिर पूछता है अब बता किसने क्या कहा तुझसे
काहे इतना भड़की है तू क्यों मन तेरा बिगड़ा है
कोई बात हुई है तो बता न मुझको
आखिर किसने क्या कहा तुझको
मेरी अनकही बातें भी वो ख़ूब समझता है
वो लड़का मुझको बिल्कुल माँ के जैसा लगता है
कितना सोचती है बे तबियत तेरी बिगड़ जाएगी
खुद का ध्यान रखा कर तू कब बात समझ तेरे आयेगी
जो जैसे चलता है चलने दे तू मन पे कोई बोझ न ले
ज्यादा गुस्सा न किया कर तू, थोड़ा ठंडा पानी पी ले
तू बहुत हिम्मत वाली है बे, कहकर मुझको बहलाता है
वो लड़का मुझको बिल्कुल मेरी माँ के जैसा लगता है
तबीयत बिगड़ी रहती है तेरी तू अच्छे से खाया कर
अबे किसने कहा तू मोटी है, लोगों की बात में न आया कर
बस खुश रहना सीख ले, टेंशन-वेंशन न लिया कर तू
छोटा सा तो जीवन है जी भर के जिया कर तू
तेरी फिक्र लगी रहती है, वो ममता मुझ पर लुटाता है
वो लड़का मुझको बिल्कुल मेरी माँ के जैसा लगता है