खेल तो हरि हाथ में है सब नितान्त
मन मुताबिक काम होता कब नितान्त
अब भला वो क्यों यहाँ पर आएगा
जब निकल उसका गया मतलब नितान्त
यूँ तो उसने प्यार को ठुकरा दिया
फिर भी हम मिल आते हैं जब तब नितान्त
दूसरों के ऐब ही दिखते सदा
अपनी खामी दिखती है कब नितान्त
हाँ नितान्त उनसे पड़ा है वास्ता
आए दिन अब देखना करतब नितान्त
समीर द्विवेदी नितान्त
कन्नौज, उत्तर प्रदेश