डॉ. निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर, राजस्थान
राधा नाम की है महिमा बड़ी,
प्रेम की मूरत, स्नेह की लड़ी।
कृष्ण की संगिनी, दिव्य स्वरूप,
उनके बिना अधूरी सृष्टि की धूप।
वृन्दावन की गलियों में जो सजी,
भक्ति में तल्लीन, प्रेम में मजी।
रास रचाया जब कृष्ण संग,
बजने लगे बंसी के मधुर रंग।
सादगी में बसी उनकी चमक,
प्रीत के अटूट बंधन में वो रही अटल।
राधा का प्रेम था निर्मल जल,
कृष्ण के हृदय में समाई अंतः पटल।
राधा अष्टमी का है दिन पावन,
राधा रानी का स्मरण करें हम।
प्रेम, भक्ति और त्याग सिखाती,
जीवन को सार्थक हैं बनाती।
स्मरण करो उस राधा का नाम,
प्रेम, भक्ति और स्नेह का धाम।
राधा के बिना थे कृष्ण अधूरे,
जैसे बिन चंद्रमा की रातें अंधेरे।