सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
तड़पते रहे लेने को हम साँस ज़िन्दगी में
जी रहे जीने की लिये हम आस ज़िन्दगी में
बुझ गये वो दिये जले जो पलकों में कभी
टूटकर रहे गए मेरे वो एहसास ज़िन्दगी में
शाख से ज्यों टूटकर वो पत्ते उड़े यहाँ-वहाँ
बनकर ठूठ सी खड़ी ज्यों उदास ज़िन्दगी में
खो गये जज़्बात सारे जीवन ये आधा अधूरा
जी रहे लेकर एक अनबुझी प्यास ज़िन्दगी में
रुकने को है साँस अब देख ली दुनिया यहाँ
बिछाये नैन है खड़ी अब मौत पास ज़िन्दगी में