साँसों से बग़ावत: नंदिता तनुजा

नंदिता तनुजा

कल के दामन से
हम बिछड़ना नहीं चाहते
ज़िन्दगी के तज़ुर्बे इतने
दिल को बस जलाना चाहते
लोगों ने क्यों आज़माया बहुत
इन सवालों में उलझना नहीं चाहते
मुश्किलों में दर्द हमेशा हैं अपना
खुशियों को भुलाना नहीं चाहते
ख्वाबों को शिकायत भी बहुत
सितारों संग टूटना नहीं चाहते
कभी खुद ही रो देते मुस्कुरा के
आईने का सच समझना चाहते
गुज़रते रहे लम्हों के दायरे से
बीते हालात पे सिमटना नहीं चाहते
एहसासों के घेरे में जीते रहे
अपने किरदारों पे ताना नहीं चाहते
रोजमर्रा की ये ज़िन्दगी है नंदिता
साँसों से बग़ावत नहीं चाहते