सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
बात किया करते हैं जो,
अक्सर दिल दुखाने की
ताज्जुब है शर्त रखते हैं
वही हमारे मुस्कुराने की
आइना देखना ख़ुद भी और
दिखाना है औरों को भी
क्या कहें शर्त कैसी अज़ब ये
देखिएगा इस ज़माने की
यूं तो निभाया था शिद्दतों से
हर फर्ज चाहतों का हमने
क्या करें जब अपनों ने ही
ठानी थी हमें आजमाने की
नादान थे हम न समझे कि
रेत पर लिखकर वो मेरा नाम
या ख़ुदा साजिशें रचा करते थे
हमें इस क़दर मिटाने की