सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
खालीपन मन की वह शून्यता है
जहां विचार मंथन रुक जाता है।
नहीं सृजन कर पाए मन तब,
थककर सहज ही सो जाता है।,
बोझिल मन कर एहसास इसका
संसार विरक्त मनुज हो जाता है।
खो देता औरों से आशा विश्वास
उस क्षण कुछ भी नहीं भाता है।
स्वयं से ही संवादों की तारतम्यता
उस वक्त कहां कोई बिठा पाता है।
जीवन का प्रत्येक पल ठहरा सा
घोर निराशाओं से घिर जाता है।
भरने को रिक्तता अपनी ही फिर
बीता हर क्षण घूम घूमकर आता है।
कर अनायास बातें उनसे फिर मन
उत्साह उमंगों से भर जाता है….!