आनंद बाबू : भाई साहब लड़के की शादी करनी है, कोई लड़की हो नज़र में तो बताइए। वैसे लड़की हमें गोरी ही चाहिए, वो क्या है ना एक ही एक लड़का है अपना, वैसे दहेज़ की कोई डिमांड नहीं हमारी और हाँ लड़की आईटी से होनी चाहिए। क्या है कि आजकल महँगाई बहुत है तो लड़का-लड़की दोनों नौकरी वाले हों तो ठीक रहेगा न।
हरि लाल बाबू : लेकिन भाई साहब आपका लड़का तो साँवला है, फिर साँवली लड़की से क्या दिक्कत है?
आनंद बाबू : अरे भाई साहब, लड़का साँवला है तभी तो गोरी बहु चाहिए जिससे पोता-पोती के रंग साफ हो।
हरि लाल बाबू : अच्छा-अच्छा ये बात है, फिर अपने साँवला दामाद क्यों चुना, आपकी लड़की तो गोरी नहीं है।
आनन्द बाबू : अरे भाई साहब, अब लड़के वालों को कोई दिक्कत नहीं थी तो कर लिया उन लोगों ने और आप ही बताइए मेरी लड़की साँवली है तो गोरे लड़के की तलाश कैसे करता।
हरि लाल बाबू : लेकिन भी साहब आपकी लड़की के बच्चों का रंग तो दब जाएगा, माँ-बाप दोनों ही दबे रंग वाले हैं।
आनन्द बाबू : तो वो कौन सा हमारे घर के हैं, जिनके हैं वो समझें।
हरि लाल बाबू : लेकिन तब तो आप अपने समधी जी से कह रहे थे रंग भगवान की देन है और आपको इससे फ़र्क नहीं पड़ता, फिर आज क्या हो गया?
आनन्द बाबू : लड़की के रिश्ते के लिए घूमते-घूमते थक गया था तो जो मिला उसी से कर दिया भाई साहब, आखिर कब तक घूमता रहता।
(आनन्द बाबू के एक और मित्र कमरे में दाखिल होते हैं)
आइये-आइये भाई साहब, नमस्कार!
महेंद्र बाबू : नमस्कार-नमस्कार!
क्या हाल-चाल भाई साहब?
आनन्द बाबू : सब कुशल-मंगल, अपना सुनाइए।
महेंद्र बाबू : सब बढ़िया है जी !
अरे हरि लाल जी नमस्कार कैसे हैं?
हरि लाल बाबू : नमस्कार! जी सब बढ़िया।
महेंद्र बाबू : अच्छा हुआ हरि लाल बाबू आप यहीं मिल गए आपसे कुछ जरूरी बात करनी थी।
हरि लाल बाबू : जी जी कहिए क्या बात है।
महेंद्र बाबू : अरे हरि भाई हमारे लड़के का ब्याह-व्याह करवाएंगे की नहीं।
हरि लाल बाबू : जी क्यों नहीं करवाएंगे! बताइए कैसी बहु चाहिए?
महेंद्र बाबू : जी देखिए बहु तो ऐसी चाहिए कि बिजली चली जाए तब भी घर में उसके उजले रंग से उजाला ही रहे, बाकी हमारी दहेज़ की कोई इच्छा नहीं जो देंगे अपनी बिटिया को देंगे हमें थोड़े ही देंगे।
हरि लाल बाबू : आपके लड़के को तो हमने देखा नहीं भाई साहब क्या उसका रंग भी दबा हुआ है?
महेंद्र बाबू : क्या बात करते हैं भाई साहब हमारा लड़का तो दूध की तरह गोरा है।
हरि लाल बाबू : अच्छा-अच्छा, फिर आपको बहु गोरी ही क्यों चाहिए, क्या साँवली लड़कियाँ अच्छी बहु नहीं होतीं?
महेंद्र बाबू : क्या बात करते हैं भाई साहब, हमारा लड़का गोरा है तो साँवली लड़की से कैसे ब्याह दें, क्या कहेंगे लोग कि लड़के को भाठ दिए साँवली लड़की से ब्याह के। बताइए आनन्द बाबू लड़का दूध की तरह गोरा उसके बगल में साँवली लड़की कैसी लगेगी, लड़का हमारा पूर्णिमा का चाँद और उसे ब्याह दें अमावस के चाँद से?
हरि लाल बाबू : अरे हाँ याद आया आपकी लड़की कैसी है ससुराल में? सब ख़ैरियत तो है ना?
महेंद्र बाबू : हाँ जी सब ख़ैरियत, ससुराल वाले बहुत खयाल रखते हैं हमारी लड़की का।
हरि लाल बाबू : वैसे भाई साहब आप भी कमाल हैं आपकी लड़की साँवली है तब भी दामाद एकदम ट्यूबलाइट खोज निकाला और वो भी रत्ती भर भी दहेज़ न लिया आपके समधी ने। वाह भाई साहब वाह।
महेंद्र बाबू : हाँ भाई साहब एक अठन्नी तक न ली उन लोगों ने और न ही कोई सामान, हम तो तर गए ऐसे समधी और ऐसा समधियान पा कर।
हरि लाल बाबू : जी ये बात तो खरी कही आपने, लेकिन आपके समधी जी ने तो अपने लड़के को भाठ ही दिया आपकी लड़की से ब्याह के।
महेंद्र बाबू : अरे अरे ये क्या अंड-शंड बोले जा रहे हैं भाई साहब हमारी लड़की में कमी ही क्या है आखिर। और ससुराल वाले हमारी लड़की की तारीफ़ करते नहीं थकते हैं, और आप हैं कि…
हरि लाल बाबू : माफ़ी चाहूँगा भाई साहब, हमने तो आपकी ही बात पर कह दिया, अभी आपने ही तो कहा लड़के को भाठन थोड़े है साँवली लड़की से ब्याह के।
महेंद्र बाबू : हरि लाल बाबू आप हद से ज्यादा बोल रहे हैं।
हरि लाल बाबू : अरे महेंद्र बाबू मैं तो इसलिए बोला कि आनन्द बाबू का लड़का साँवला है, लेकिन इनको भी बहु एकदम ट्यूबलाइट जैसी गोरी चाहिये। जिससे इनके पोता-पोती का रंग न दबे, बैलेंस बना रहे।
अब आपका लड़का खुद ट्यूबलाइट है, तो घर में दूसरे ट्यूबलाइट की क्या ज़रूरत, आंखें चौंधिया न जायेंगी आप सभी घर वालों की।
हम लोगों का खेल ही निराला है भाई साहब हमारा लड़का कोयले से भी काला क्यों न हो लेकिन बहु हम- सभी को गोरी ही चाहिए, भई लड़के को भाठना थोड़े है।
आपका लड़का गोरा हो तब भी काली लड़की से ब्याह नहीं कर सकते और लड़का गोरा है तब तो बहु गोरी ही चाहिए, कमाल है न हम लोग।
वैसे भी साहब हम लोगों ने तो ऐसा करके अपने जीडीपी में अच्छा-खासा योगदान दे दिया है। अगर हम लोगों ने लड़कियों पर गोरा होने का दबाव न डाला होता तो आज गोरे होने और सुंदर दिखने के लिए जितने सौंदर्य प्रसाधन बन रहे हैं, वो ना बन रहे होते, और हम अपने इस योगदान के गौरव से अछूते ही रह जाते।
खैर एक बात बताइए क्या आपकी बहु के रंग से उसके बच्चे का रंग निर्धारित होता है? यदि आप ऐसा ही सोंचते हैं तो आप बिल्कुल ही गलत हैं। किसी भी व्यक्ति का रंग उसकी कोशिकाओं से निर्धारित होता है ना कि माता या पिता के रंग से। अगर ऐसा होता तो किसी भी दबे रंग वाले दम्पत्ति के बच्चे का रंग गोरा न होता और न ही किसी गोरे रंग वाले दम्पत्ति के सन्तान का रंग काला या साँवला नहीं होता।
आप लोगों को जाने साँवले रंग से कैसा बैर है, भगवान राम हों या भगवान कृष्ण दोनों का ही रंग साँवला ही था।
-सीमा कृष्णा