प्रेम करना सीखो पृथ्वी से
धूल-मिट्टी को त्याग चुके हो
पर वही रहती है सबकुछ
वही पोसती है सबको
मिट्टी से दूर जाकर
तुमने तैयार की अपनी नकली दुनिया
अपने हवाई महल बनाए
लेकिन फिर भी भागते-दौड़ते रहे ताउम्र
वह सब नहीं मिला जो तुम खोज रहे थे
मिट्टी, हवा, पानी, अग्नि और आकाश
जिनका विस्तार रचता है तुमको
अपने हवाई किले में यदि ज़िंदा हो
तो इसलिए कि थोड़ी-थोड़ी असली चीजें
तुम संजोते हो अपनी दुनिया में
कि पंचतत्वों का एक-एक टुकड़ा
तुमने उसमें सुरक्षित कर रखा है
थोड़ी मिट्टी
जो तुम्हारा घर है
थोड़ा पानी
जो तुम्हारा टैप वाटर है
थोड़ी आग
जो गैस का चूल्हा या हीटर है
और थोड़ी हवा
खुले-खुले कमरे रहने के लिए
लेकिन ये सभी पूरे नहीं पड़े
तुम्हारी जिंदगी की खुशियों के लिए
जिसे ढूँढते रहे हमेशा
कभी हरियाली के बीच बैठकर देखना
कभी अपने हाथों से मिट्टी को छूना
और अँजुरी में भूरी नम मिट्टी भरकर
महसूस करना उसका ठंडापन
जो आनंद तुम्हें मिलेगा
वह तुम्हारे वातानुकूलित कमरे में नहीं मिलेगा
तमाम सुख-सुविधाओं के बीच भी नहीं
अंजना वर्मा
ई-102, इच्छा अपार्टमेंट
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