विवेकरंजन श्रीवास्तव
भोपाल
साक्षरता सरगम जीवन की, अ आ इ ई ज्ञान कराया तुमने,
तुम्हें प्रणाम गुरू जी
धन ऋण गुणा भाग जीवन के भले बुरे का भान कराया तुमने,
तुम्हें प्रणाम गुरू जी
शिक्षा बिन पशुवत् है जीवन, दे शिक्षा इंसान बनाया तुमने,
तुम्हें प्रणाम गुरू जी
भाषा, दृष्टि नई, सृष्टि की गणित और विज्ञान सिखाया तुमने,
तुम्हें प्रणाम गुरू जी
क्षण भंगुर नश्वर है जीवन जीवन का इतिहास बताया तुमने,
तुम्हें प्रणाम गुरू जी
जीवन में भटकाव बहुत है अंधकार में मार्ग दिखाया तुमने,
तुम्हें प्रणाम गुरू जी
अंतिम सत्य मुक्ति जीवन की, धर्म और आध्यात्म पढ़ाया तुमने,
तुम्हें प्रणाम गुरू जी