सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा उत्तर प्रदेश
है पक्षियों की चहचहाट में
सूखे पत्तों की सरसराहट में है
भंवरों, तितलियों की लुकाछिपी में
पवन झकझोरों की उस आहट में है।
है बारिश की बूंदों की टिप-टिप में
और बादलों की गड़गड़ाहट में है।
है गिरते पानी के उन मीठे झरनों में
नदियों की अल्हड़ मस्त रवानी में है।
है जीवन के इस क्षण-क्षण में ये
प्रकृति के प्रत्येक कण-कण में है।
हर रूह को छू कर जाता है जो
हर देश, मानुष और जन गण में है।।
मिटा देता है सारे दुख दर्द जो भी
उसके जीवन की कहानी में है।
क्योंकि
इसके साथ हृदय का जब तार जुड़ जाता है
अपनी ही सरगम पर यह सब को नचाता है।
इसका सभी के जीवन से कुछ ऐसा नाता है
हर चेहरे के मनोभावों को यह बदल जाता है।।
इसीलिए तो दोस्तों इसे संगीत कहा जाता है
जो स्वयं से ही स्वयं की प्रीति बताता है।
मन पंख लगा कल्पना के कहीं उड़ जाता है
संपूर्ण ब्रह्मांड में मानों विचरण कर आता है।।
यदि संगीत ना होता तो शायद आप नहीं होते
क्योंकि बिना धड़कनों की धुन सब बेजान होते।
यह संगीत ही है दोस्तों जो चहूं और व्याप्त है
सच पूछो तो जीवन हेतु यही एक पर्याप्त है।।
यदि ना हो यकीन तो आजमा कर देख लो
दो सेकंड को भी सांसें अपनी गवां कर देख लो।
यदि यह संगीत ना हो तो निर्जीव ये प्राण है
ये सुंदर काया मिट्टी, कब्रिस्तान और शमशान हैं।।
इसीलिए अपने अंतस में बसे इस संगीत को
आप समस्त हित मित्रों की नजर करती हूं।
हूं जिंदा में क्योंकि यह जिंदा है मुझ में
शुक्रिया अदा उस रब का किया करती हूं।।