कविता: अतुल पाठक

सृजन का अर्पण है कविता,
मन का दर्पण है कविता

अनकहा चरण है कविता,
शून्य हृदय में रोपण है कविता

सीप में मोती सा चयन है कविता,
अर्जन नहीं सृजन और गहन है कविता

श्रृंगार प्रेम हास्य और वीर रस का मिश्रण है कविता,
शब्दों से चमकती नवकिरण है कविता

कभी कल्पना तो कभी प्राण है कविता,
नित नया नया निर्माण है कविता

भावनाओं का चित्रण है कविता,
सत्य का दर्पण है कविता

शब्द और अर्थ का मेल है कविता,
कवि की काव्यरूपी बेल है कविता

दिल की हर बात बयाँ करे जो,
कागज़ कलम को जिस पर गुमाँ हो
वो मौन की जुबाँ है कविता

अतुल पाठक
हाथरस, उत्तर प्रदेश