एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी की केन्द्रीय क्रीड़ा एवं कला परिषद के तत्वावधान में अंतरक्षेत्रीय विद्युत नाट्य व नृत्य प्रतियोगिता आज तरंग प्रेक्षागृह में प्रारंभ हो गई। प्रतियोगिता का उद्घाटन केन्द्रीय क्रीड़ा एवं कला परिषद के महासचिव राजीव गुप्ता ने किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय क्रीड़ा एवं कला परिषद के पदाधिकारी, प्रतियोगिता में भाग लेने वाली इंदौर, भोपाल, सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी, संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंगपुर, श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह खंडवा व मेजबान केन्द्रीय कार्यालय जबलपुर की टीम के खिलाड़ी व बड़ी संख्या में विद्युत कार्मिक उपस्थित थे। प्रतियोगिता के प्रथम दिवस पर एकल नृत्य, नुक्कड़ नाटक व मंचीय नाटकों की प्रस्तुति हुई।
एकल नृत्य में पवन मेहरा की अर्धनारीश्वर स्वरूप प्रस्तुति
प्रतियोगिता में एकल नृत्य स्पर्धा में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी के पवन मेहरा ने सत्यम शिवम सुंदरम पर अर्धनारीश्वर स्वरूप में अपनी नृत्य प्रस्तुति दी। एकल नृत्य स्पर्धा में प्रस्तुति देने वाले वे एकमात्र पुरूष प्रतिभागी थे। भोपाल की जया सोलंकी ने भरतनाट्यम प्रस्तुत किया। इंदौर की प्रियंका यादव, संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंगपुर की संगीता उद्दे व केन्द्रीय कार्यालय जबलपुर की अनुपमा तिवारी ने कत्थक नृत्य की उत्कृष्ट प्रस्तुति दी।
नुक्कड़ नाटक में छाए रहे ज्वलंत मुद्दे
शक्तिभवन परिसर में आयोजित नुक्कड़ नाटक स्पर्धा में सामाजिक मुद्दों को उठाया गया। श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह खंडवा की टीम ने वर्तमान में सबसे ज्वलंत मुद्दे साइबर क्राइम व डिजिटल अरेस्ट पर केन्द्रित विषय पर नुक्कड़ नाटक किया। इस प्रस्तुति के माध्यम से लोगों को साइबर क्राइम व डिजिटल अरेस्ट के खतरे से आगाह रहने का संदेश दिया गया। दूसरी प्रस्तुति अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई द्वारा मानसिक स्वास्थ्य विषय पर केन्द्रित थी। इस नुक्कड़ नाटक में ड्रग्स के खतरों को बताया गया।
मंचीय नाटकों में हुआ विसंगतियों पर प्रहार
प्रतियोगिता के प्रथम दिवस तीन मंचीय नाटकों की प्रस्तुति की गई। श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह खंडवा द्वारा अंधेर नगरी चौपट राजा, संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंगपुर ने भुक्कड़ व अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई ने वृद्धाश्रम नाटक का मंचन किया। अंधेर नगरी चौपट राजा प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की मूल कृति अंधेर नगरी पर आधारित था। इस नाटक में विवेकहीन और निरंकुश शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया गया। वृद्धाश्रम नाटक में समाज के वरिष्ठ नागरिकों की त्रासदी को दिखाया गया, जबकि भुक्कड़ नाटक में निर्धनता को विषय बनाया गया।