अभ्युदय अन्तरराष्ट्रीय द्वारा देश की राजधानी दिल्ली के हिन्दी भवन में पुस्तक लोकार्पण व आस्ट्रेलिया से पधारी विश्व प्रसिद्ध विदुषी डॉ मृदुल कीर्ति व जयपुर से पधारी वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला बिहारी के विशेष स्वागत व सम्मान में भव्य आयोजन किया गया। अभ्युदय अन्तर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन करने के साथ हुआ। तत्पश्चात नरेंद्र शर्मा खामोश द्वारा सरस्वती वंदना व चंदा प्रह्लादका, इन्दु झुनझुनवाला, रचना शर्मा तथा मञ्जरी पाण्डेय द्वारा गाए गए संस्था के ध्येयगीत के साथ आयोजन का प्रारम्भ हुआ। प्रारम्भ में शाॅल, मुक्तकमाला, मनीप्लांट के पौध प्रदान कर अतिथियों का भव्य स्वागत हुआ।
इस भव्य आयोजन में वर्ष 2022 का घोषित अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय संस्था का इक्कीस हजार राशि के साथ अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय शलाका सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला बिहारी, अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय आदि शंकराचार्य सम्मान 2021 डॉ मृदुल कीर्ति व अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय चित्रा मुद्गल सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शशी मंगल को प्रदान किया गया। इसके साथ ही दिल्ली की कुछ ख्यातिलब्ध विभूतियों को भी सम्मानित किया गया। संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डाॅ इन्दु झुनझुनवाला ने स्वागत के साथ संस्था की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इस अवसर पर दस पुस्तकें लोकार्पित की गईं-
कबीर एक शाश्वत यात्रा, प्रेमचंद कथन और संदर्भ, वो जो गुमनाम हुए- ये तीन पुस्तकें अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय द्वारा सम्पादित व प्रकाशित की गई।
बूंद-बूंद जीवन व आज की अहिल्या- डॉ इन्दु झुनझुनवाला
यशोधरा, वृथा नहीं है रागिनी- चन्दा प्रह्लादका
भाव प्रवाह- छत्र छाजेड
शिक्षा के बदलते स्वरूप- डॉ निशा अग्रवाल
गहरे पानी पैठ- डॉ मुक्ता
परिचर्चा में वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपने विचार रखे। जिनमें मुख्य रूप से कबीर पुस्तक पर बोलते हुए दिल्ली दूरदर्शन के भूतपूर्व निदेशक डाॅ अमरनाथ ‘अमर’ ने कबीर की शाश्वत यात्रा से अभ्युदय की यात्रा का अद्भुत साम्य बताते हुए शोधार्थियों के लिये एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया। मुख्य अतिथि जाने माने साहित्यकार, शिक्षाविद प्रो (डाॅ) नवीनचन्द्र लोहनी ने प्रेमचंद पर सारगर्भित वक्तव्य देते हुए हर युग में प्रासंगिक प्रेमचंद से लिखने की ताकत ग्रहण करने की बात कही। काशी से पधारी प्रो (डाॅ) रचना शर्मा ने गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित संस्मरणों पर आधारित डाॅ इन्दु झुनझुनवाला द्वारा संपादित पुस्तक पर भावपूर्ण वक्तव्य देते हुए स्वतंत्रता के लिये गुमनाम कुर्बानियों के संस्मरण का उल्लेख किया।
डाॅ इन्दु द्वारा लिखित आज की अहिल्या पर अपने विचार व्यक्त करती हुई, कलकत्ता से पधारी चंदा प्रह्लादका ने पुस्तक के अंश पर आधारित नारी सशक्तिकरण का उल्लेख करते हुए आज के संदर्भ में संदर्भित अहिल्या के स्वरूप का वर्णन किया। डाॅ इन्दु की दूसरी पुस्तक ‘बूँद-बूँद जीवन’ पर काशी से आई डाॅ मञ्जरी ने पुस्तक पर विचार व्यक्त करते हुए बताया कि नट नटी संवाद की तरह कथोपकथन शैली पर आधारित संस्कृत के चम्पू काव्य विधा में लिखा है। इसकी कहानी पूर्णतया नारी संघर्ष पर और आज के लिये प्रेरक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार विजयकिशोर मानव ने अभ्युदय के भगीरथ प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए सभी साहित्यकारों को एकजुट होकर सार्थक सृजन का समर्थन करने पर बल दिया। इसके लिये कार्यशालाओं के आयोजन की भी अपील की।
वरिष्ठ कवि व साहित्यकार लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने भी महत्वपूर्ण आयोजन और साहित्य की वर्तमान दशा पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए सारगर्भित वक्तव्य दिया। विशिष्ट अतिथि जयपुर से आयीं मृदुला बिहारी अभिभूत थी। अस्वस्थता के बावजूद भव्य आयोजन का हिस्सा बनीं और साहित्य संबंधी महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। ऑस्ट्रेलिया से विशेष रूप से आई परम विदुषी मृदुलकीर्ति ने उपनिषद, गीता पर अपने काव्यानुवाद को सुना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। आपने ओजस्वी भाषण से सबको झंकृत किया। दिल्ली आकाशवाणी के पूर्व सहायक निदेशक संस्था के उपाध्यक्ष भीमप्रकाश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सफल संचालन चार सत्रों में सुषमा सिंह, डाॅ प्रियंका कटारिया, सुमन द्विवेदी, सुनीता बंसल, डॉ निशा अग्रवाल ने किया ।
इस आयोजन में सहभागिता निभाने के लिए राजस्थान से पश्चिम जोन की अध्यक्ष डॉ निशा अग्रवाल, विशेष सचिव राजपूताना इतिहास के अध्येता शिवराज पाल, संतोष बंसल, सुरेश बिंदल, रामवतार बैरवा, आचार्छय विजय आर्य, सुषमा आर्य, छत्र छाजेड, चंद्रहारशेखर आश्री, कर्नल प्रताप सिंह, मदन साहनी, शाखा की अध्यक्ष लता नौवाल, हरियाणा शाखा सचिव मंजु तंवर, डाॅ महालक्ष्मी केशरी के साथ दिल्ली व हरियाणा के संस्था के पदाधिकारियों व सदस्यों के साथ दिल्ली शहर के तमाम प्रतिष्ठित वरिष्ठ गणमान्य साहित्यकारों व कलाप्रेमियों विद्वतजनों जैसे रमा सिंह, डाॅ मुक्ता अमरजीत कौर आदि की गरिमामय उपस्थिति ने कार्यक्रम को अद्भुत स्वरूप प्रदान किया। कला, साहित्य, संस्कृति को समर्पित संस्था ‘कस्तूरी’ और उसके कलाकारों व अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय के उपस्थित सदस्यों को माला, प्रमाणपत्र आदि से अभिनन्दन किया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन आकाशवाणी के भूतपूर्व निदेशक संस्था के उपाध्यक्ष भीमप्रकाश शर्मा ने किया।