Friday, December 27, 2024

निर्माण से निर्वाण तक: डॉ. निशा अग्रवाल

डॉ. निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

जीवन का उद्देश्य सिर्फ भौतिक सफलता प्राप्त करना नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों को समझना और उसके मार्ग पर चलना भी है। “निर्माण से निर्वाण तक” का अर्थ है, आत्मा की पूर्णता की ओर बढ़ना, जो बाहरी निर्माण से शुरू होकर आंतरिक शांति और मोक्ष तक की यात्रा को दर्शाता है। यह यात्रा भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पहलुओं का समन्वय है, जहाँ भौतिक निर्माण (समाज, संस्कृति, परिवार, संस्थाओं का निर्माण) एक सशक्त आधार प्रदान करता है और अंततः आत्मा की शांति और परम सत्य की प्राप्ति, जिसे निर्वाण कहते हैं, वह अंतिम लक्ष्य होता है।

निर्माण का महत्व
समाज में निर्माण का विशेष महत्व है। परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व का निर्माण न केवल भौतिक संसाधनों से होता है, बल्कि लोगों के नैतिक मूल्यों, शिक्षा, परिश्रम और योगदान से भी होता है। एक व्यक्ति का निर्माण उसकी शिक्षा, संस्कार और परिश्रम से होता है, और जब वह व्यक्ति समाज में अपना योगदान देता है, तो एक मजबूत और प्रगतिशील समाज का निर्माण होता है। यही निर्माण संसार के विकास और उन्नति का आधार है।

निर्वाण का मार्ग
निर्माण के बाद अगला चरण है आत्मिक उन्नति और अंततः निर्वाण की प्राप्ति। निर्वाण का शाब्दिक अर्थ है ‘मुक्ति’। यह मुक्ति केवल शरीर या मन की इच्छाओं से नहीं, बल्कि आत्मा की उच्चतम अवस्था तक पहुंचने से होती है। बौद्ध धर्म में, निर्वाण का मतलब है दुखों और इच्छाओं से पूरी तरह मुक्त होना। यह स्थिति तभी प्राप्त होती है जब व्यक्ति जीवन के सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर आंतरिक शांति और ज्ञान की ओर बढ़ता है।

निर्माण और निर्वाण का संबंध
निर्माण और निर्वाण के बीच गहरा संबंध है। जब तक व्यक्ति अपने जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक निर्माण तक सीमित रखता है, तब तक वह शांति और संतोष से दूर रहता है। निर्माण आवश्यक है, परंतु इसका अंतिम लक्ष्य आंतरिक शांति और निर्वाण होना चाहिए। जब व्यक्ति समाज के निर्माण के साथ-साथ अपनी आत्मा की भी उन्नति करता है, तभी वह निर्वाण के मार्ग पर अग्रसर हो सकता है।

इस प्रकार, “निर्माण से निर्वाण तक” एक ऐसी यात्रा है जो हमें समाज के लिए काम करने, भौतिक और आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होने और अंततः आत्मिक मुक्ति प्राप्त करने की प्रेरणा देती है। यह जीवन का एक संतुलित दृष्टिकोण है, जिसमें बाहरी और आंतरिक दोनों पहलुओं का समन्वय होता है।

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