अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय संस्था के तत्वावधान में हिंदी भवन नई दिल्ली में साहित्यिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में दस पुस्तकों का भव्य लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का आगाज़ दिल्ली शाखा अध्यक्ष सुषमा सिंह के प्रभावी संचालन तथा नरेंद्र शर्मा ‘खामोश’ की मधुर स्वर वंदना के साथ हुआ। कार्यक्रम में इंदु की पुस्तक ‘आज की अहिल्या’, ‘बूंद बूंद जीवन’ तथा चंदा प्रह्लादका की पुस्तक ‘यशोधरा’ एवं “वृथा नहीं है रागिनी’ सहित अनेक पुस्तकों का विमोचन हुआ।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण आज की अहिल्या और यशोधरा पर परिचर्चा रही। कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार एवं सुप्रसिद्ध कवि विजयकिशोर मानव की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मेरठ यूनिवर्सिटी से प्रो. (डॉ) नवीन चंद्र लोहनी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध वेदों एवं उपनिषदों की ज्ञाता डॉ मृदुल कीर्ति (ऑस्ट्रेलिया) एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मृदुला बिहारी ( जयपुर) शामिल हुई। कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्य ही समाज की धुरी है जो अनेक संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य कर रही है।
सह अध्यक्ष डॉ अमरनाथ अमर ने कहा कि हम सभी को साहित्य जगत में एक नई पहचान बनानी होगी और यह तभी संभव है, जब हम नवोदित लेखकों को साथ लेकर चलें। यही हमारा प्रयास है। महा सचिव एवं छंद गुरु चंदा प्रहलादका ने बताया कि साहित्य गद्य और पद्य का मिश्रण है, जिसमें दोहे, छंद, हाइकु का सुंदर सृजन मात्राओं और मापनी के माध्यम से किया जाता है। इसे सीखना कोई कठिन कार्य नही है हौसला और जुनून हो तो हर काम आसान होता है।
वहीं सह सचिव एवं बौद्धायन सोसायटी की संस्थापक डॉ मंजरी पांडेय ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्य के बिना समाज गूंगा है तो समाज के बिना मात्र साहित्य कोरी कल्पना। कार्यक्रम में उपसचिव प्रो. (डॉ) रचना शर्मा (बनारस), उपाध्यक्ष डॉ भीमप्रकाश शर्मा, लक्ष्मीशंकर बाजपेयी, करनाल प्रताप सिंह, हरियाणा शाखा से मंजू तंवर (गुडगांव), उत्तर जोन अध्यक्ष सुनीता बंसल (देहली), पश्चिमी जोन अध्यक्ष (अ. प्रो.) डॉ निशा अग्रवाल (जयपुर), महाराष्ट्र शाखा अध्यक्ष लता नौवाल (मुंबई), राजपुताने इतिहास के अध्येता विशेष सचिव शिवराजपाल सिंह, राजस्थान शाखा सचिव छत्र छाजेड़ ( दिल्ली) एवं अनेक विद्वतजन शामिल हुए।
कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार विजयकिशोर मानव की अध्यक्षता में तथा मेरठ यूनिवर्सिटी से प्रो डॉ नवीन चंद्र लोहनी के आतिथ्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में वेदों और उपनिषदों की ज्ञाता डॉ मृदुल कीर्ति ऑस्ट्रेलिया से, वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला बिहारी जयपुर से विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुईं। कार्यक्रम में अनेक साहित्यकारों एवं प्रबुद्धजनों ने हिस्सा लिया। डॉ मृदुल कीर्ति ने भागवत के कुछ श्लोकों को ब्रज भाषा में सुनाया तो सभी श्रोता एवं दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए।
वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला बिहारी ने साहित्य के प्रति समर्पण और प्रेणास्पद भावों से अभ्युदय संस्था का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ साहित्यकार विजयकिशोर मानव ने साहित्य से जुड़ी ज्ञानवर्धक बातें अपने वक्तव्य में दर्शकों के साथ शेयर की। वहीं प्रोफेसर लोहनी ने कहा कि साहित्य…जहां समाज की मानसिक प्रगति और ऊर्जा का मानदंड है, वहीं समाज भी अपनी समस्त आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति के लिए साहित्य का मुखपेक्षी है। वंदे मातरम के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।