Friday, December 27, 2024
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घर की सीढ़ी और वास्तु शास्त्र

पंडित अनिल पाण्डेय
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
व्हाट्सएप- 8959594400

वास्तु शास्त्र के अनुसार सीढ़ी का निर्माण करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और वास्तु दोष न उत्पन्न हों।

वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ और ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल पाण्डेय का कहना है कि सीढ़ी का निर्माण करते समय बेहद सावधानी रखनी चाहिए, सीढ़ी की दिशा, निर्माण सामग्री, रंग आदि का विशेष ध्यान रखकर वास्तु दोष से बच सकते हैं, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और सुख-समृद्धि का आगमन होगा।

दिशा का चयन

दक्षिण और पश्चिम दिशा सीढ़ी के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं। दक्षिण दिशा में सीढ़ी बनाना घर में स्थिरता और समृद्धि लाता है। वहीं उत्तर और पूर्व दिशा में सीढ़ी बनाना अनुचित माना जाता है, क्योंकि यह धन और स्वास्थ्य में कमी ला सकता है।

सीढ़ी का प्रारंभिक और अंतिम बिंदु

सीढ़ी का प्रारंभिक बिंदु हमेशा घर के अंदर से होना चाहिए और अंतिम बिंदु ऊपरी मंजिल पर होना चाहिए। सीढ़ी का अंतिम बिंदु दरवाजे या कमरे के ठीक सामने नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह ऊर्जा के सीधे प्रवाह को बाधित करता है।

सीढ़ी की दिशा

सीढ़ी का चढ़ना हमेशा दक्षिण से उत्तर या पश्चिम से पूर्व की ओर होना चाहिए। सीढ़ी का उतरना उत्तर से दक्षिण या पूर्व से पश्चिम की ओर होना चाहिए।

सीढ़ी की संख्या

सीढ़ी की संख्या विषम होनी चाहिए, जैसे 5, 7, 9, 11 आदि। यह शुभ माना जाता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। सीढ़ी की संख्या सम होने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं।

सीढ़ी की बनावट

सीढ़ी हमेशा सीधी और बिना किसी अवरोध के होनी चाहिए। सीढ़ी के किनारे पर सुरक्षा रेलिंग होनी चाहिए ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। सीढ़ी का प्रत्येक चरण समान ऊँचाई और चौड़ाई का होना चाहिए ताकि चढ़ाई और उतराई आरामदायक हो।

सीढ़ी के नीचे का स्थान

सीढ़ी के नीचे का स्थान खाली रखना चाहिए या स्टोर रूम के रूप में उपयोग करना चाहिए। इस स्थान को बाथरूम या रसोई के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है।

सीढ़ी का निर्माण सामग्री

सीढ़ी का निर्माण ठोस और टिकाऊ सामग्री, जैसे कंक्रीट या लकड़ी से करना चाहिए। धातु या कांच की सीढ़ी का उपयोग करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

सजावट और रंग

सीढ़ी के आसपास हल्के और शांत रंगों का उपयोग करना चाहिए। सीढ़ी पर अधिक सजावट करने से बचें और उसे सादगीपूर्ण रखें।

सीढ़ी का रखरखाव

सीढ़ी को हमेशा साफ और अच्छी स्थिति में रखना चाहिए। टूटी हुई या क्षतिग्रस्त सीढ़ी को तुरंत ठीक कराना चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार सीढ़ी का निर्माण करते समय इन सावधानियों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वास्तु दोष से बचा जा सकता है। यह न केवल घर की सुंदरता को बढ़ाता है, बल्कि परिवार के सदस्यों के जीवन में भी सुख, शांति और समृद्धि लाता है।

अगर आपके घर की सीढ़ी वास्तु शास्त्र के अनुसार नहीं बनी है तो आपको बहुत ज्यादा घबराना नहीं चाहिए छोटे-छोटे प्रयोग करके हम सिद्धि के दोस्तों को दूर कर सकते हैं। इन दोषों को किस प्रकार दूर किया जाए यह बगैर स्थल का निरीक्षण किया बताना संभव नहीं है। स्थल निरीक्षण करने के उपरांत किसी भी प्रकार के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए उपयुक्त उपाय आसानी से बताये जा सकते हैं।

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