जबलपुर (हि.स.)। 2 साल पहले ही मर चुका व्यक्ति ना सिर्फ तहसीलदार के सामने पेश हुआ बल्कि उसने कब्जा आदेश पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार किया। इसके बाद उसकी जमीन तहसीलदार ने शासन के कब्जे में ले लेने का मामला सामने आया है।
जबलपुर के गढ़ा तहसील के अंतर्गत बीटी तिराहे के पास मृतक कंधीलाल जिस जमीन पर रहते और खेती करते थे। वह जमीन 1989 में सीलिंग में आ गई थी। शासन ने 15 जुलाई 1989 में जमीन का कब्जा कंधी लाल से लेकर इसे सरप्लस घोषित कर दिया। कंधीलाल के उत्तराधिकारियों ने जब इस मामले की जांच की तो उन्हें पता चला की तहसीलदार ने जिस साल में कंधीलाल से कब्जा लिया है उसके 2 साल पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी।
इस मामले को लेकर परिजनों ने हाईकोर्ट में इस आदेश के खिलाफ 2015 में याचिका दायर की थी। लेकिन उस समय परिजनों के पास कोई भी ऐसा सबूत नहीं था जिससे यह साबित हो सके की तहसीलदार के द्वारा जारी किया गया कब्जा आदेश गलत है। इसके बाद याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने उस आदेश की प्रति निकलवाई जो तहसीलदार के द्वारा साल 1989 में जारी किया गया था। इसके बाद यह सामने आया कि तहसीलदार ने न सिर्फ मृतक को उपस्थित बताया था बल्कि उसकी मौत के 2 साल बाद उससे ज़मीन का कब्जा लिया था। 15 जुलाई 1989 में गढ़ा तहसील के तहसीलदार ने जो कब्जा आदेश जारी किया था उसमें यह साफ लिखा था कि कंधीलाल मौके पर उपस्थित रहा पर उसने दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। जिसके कारण एक पक्षीय कार्रवाई कर इस जमीन पर कब्जा लिया जाता है। जबकि इस आदेश के 2 साल पहले फरवरी 1987 में ही कंधीलाल की मौत हो चुकी थी।
सोमवार 12 अगस्त को इस मामले की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में हुई। मृतक कंधीलाल के उत्तराधिकारियों की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की। इस मामले में कोर्ट के द्वारा गढ़ा तहसीलदार सहित जबलपुर नगर निगम कमिश्नर और राज्य शासन को भी नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर 2024 को होगी।