Thursday, December 19, 2024
Homeएमपीकिसानों को सलाह: अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने धान की रोपाई में बरतें...

किसानों को सलाह: अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने धान की रोपाई में बरतें जरूरी सावधानी

धान खरीफ की मुख्य फसल है और जबलपुर जिले में लगभग 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र इसे लगाया जाता है। इसमें से लगभग 40 से 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सूखे खेतों में सीड ड्रिल के माध्यम से इसकी सीधी बोनी की जाती है, जबकि शेष क्षेत्रफल में खेतों में कीचड़ मचा कर मजदूर या पैडी ट्रांसप्लांटर के माध्यम से नर्सरी द्वारा तैयार धान के पौधों की रोपाई की जाती है। किसानों ने अपने खेतों में नर्सरी तैयार कर ली है और बारिश के आने से जिले भर में रोपाई जोरों पर है।

उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास रवि आम्रवंशी ने बताया कि जिले में किसानों ने अपने खेतों में नर्सरी तैयार कर ली है और बारिश के आने से जिले भर में धान की रोपाई जोरों पर है। श्री आम्रवंशी के मुताबिक सावधानी पूर्वक धान की रोपाई करने पर किसान इसका अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। रोपाई के लिए धान की 20 से 25 दिनों की पौध सर्वाधिक उपयुक्त होती है।

रोपाई करने से एक दिन पहले नर्सरी में लगी हुई धान की अच्छी तरह सिंचाई करनी चाहिए। ताकि दूसरे दिन धान के पौधों को निकालते समय उनकी जड़ न टूटें और पौधे भी आसानी से निकल जाएं। पौधों की जड़ों में लगी मिट्टी को पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। इसके बाद किसानों द्वारा जड़ों का उपचार करने से फसलों में उर्वरक की आंशिक पूर्ति की जा सकती है।

उप संचालक किसान कल्याण ने बताया कि कार्बेंडाजिम 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 2 ग्राम मात्रा एवं स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 0.5 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर धान के पौधों को 20 मिनट तक डुबोकर रखना चाहिए। इसके बाद उपचारित पौधे को एक बोतल नैनो डीएपी के 100 लीटर पानी में बने घोल को दोबारा 20 मिनट तक डुबोकर रखना चाहिए।

उपचारित पौधों की तैयार खेत में परस्पर 20 सेंटीमीटर की दूरी पर स्थित कतारों में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करना चाहिए। रोपाई करते समय एक स्थान पर दो से तीन पौध लगाना चाहिए और पौधों की गहराई दो से तीन सेंटीमीटर से अधिक नहीं रखनी चाहिए।

संबंधित समाचार

ताजा खबर