शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा के बीच सत्र में थोक के भाव किए गए स्वैच्छिक स्थानांतरण ने ग्रामीण क्षेत्र की शालाओं को एक शिक्षकीय अथवा शिक्षकविहीन कर शिक्षकों को नगर की मनचाही शालाओं में पदस्थ कर दिया गया, अब उन्हें पुन: ऐन परीक्षा के मौके पर अतिशेष का भय दिखाया जा रहा है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के पूर्व महामंत्री योगेंद्र दुबे ने कहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अतशेष प्रक्रिया प्रारंभ कर संकुल प्राचार्यों से एक शिक्षक तथा शिक्षकविहीन शालाओं की जानकारी जुटाई जा रही है। विभाग द्वारा ऑनलाइन तथा ऑफलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों के सुविधाजनक विद्यालयों में बिना रिक्त पद के शिक्षकों की पदस्थापना की गई तथा संकुल प्राचार्यों पर भोपाल तथा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अनावश्यक दबाब बनाकर उन स्थानांतरित शिक्षकों को ज्वाईनिंग दिला दी गई। अब जब दर्ज संख्या के मान से विद्यालयों में शिक्षक संख्या अधिक हो गई है, जिसके बाद पुन: विभाग द्वारा फरमान जारी कर अतिशेष के नाम पर जबरन शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है।
योगेंद्र दुबे ने कहा है कि प्रतिवर्ष एक शिक्षकीय तथा शिक्षकविहीन शालाओं का निर्माण शिक्षा विभाग की गलत स्थानांतरण नीति के कारण होता है, फिर ऐसी शालाओं में शिक्षकों की पूर्ति के लिए पूरे शिक्षकीय अमले को पढ़ाई छोड़ मानसिक रूप से परेशान कर वसूली का अभियान प्रारंभ कर दिया जाता है। शिक्षकों से संबंधित जानकारी का एजुकेशन पोर्टल में अपडेशन ऑनलाइन ट्रांसफर से पहले सुनिश्चित किया जाना चाहिए जो कभी भी नहीं किया जाता है। अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया का बहाना बना कर उन संस्थाओं में भर दिया जाता है, जहां दर्ज छात्र संख्या के हिसाब से पहले शिक्षक अधिक होते है, कुछ समय बाद अतिशेष के नाम से पुन: नया खेल शुरू हो जाता है।