मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के शिक्षक-अध्यापक प्रकोष्ठ के प्रांताध्यक्ष मुकेश सिंह ने जारी विज्ञप्ति में बताया की वर्षों के संघर्ष के बाद अध्यापक संवर्ग के लोक सेवकों को 1 जुलाई 2018 को राज्य शासन का कर्मचारी मानते हुए उन्हें समान सुविधायें एवं भत्ते मिल रहे हैं।
लेकिन ताज्जुब की बात है कि 3 साल से ज्यादा समय होने के बावजूद शिक्षा विभाग की अंधेरगर्दी के चलते सैंकडों प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के आईएफएमआईएस से एम्पलाई कोड जारी नहीं हो पाये हैं, जिससे ऐसे अध्यापकों को मकान भाडा भत्ता नहीं मिला और न ही उनकी बीमा कटौती हो रही है।
ऐसे पीड़ित अध्यापक अपना एम्पलाई कोड जारी कराने के लिए दो वर्षों से कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, जिम्मेदार अधिकारियों से मिलने के बाद भी उनकी समस्यायें यथावत हैं। बीमा की कटौती न होने से अध्यापक संवर्ग के कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु होने पर उसके परिवार को किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिल पाती है।
संघ के मुकेश सिंह, योगेन्द्र मिश्रा, शुभसंदेश सिंगौर, अनुज दीक्षित, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, राकेश उपाध्याय, संजय श्रीवास्तव, विजय तिवारी, मनोज सेन, राकेश दुबे, गणेश उपाध्याय, जेपी गुप्ता, श्यामनारायण तिवारी, राकेश पाण्डे, अभिषेक मिश्रा, मनीष लोहिया, मनीष शुक्ला, विनय नामदेव, पवन ताम्रकार, आदित्य दीक्षित, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, संतोष तिवारी, रमेश परिहार, अनुराग मिश्रा, संतकुमार कावेरिया, विष्णु पाण्डे, अनिल मरावी, हल्के यादव, कन्हैया पटैल, राजू यादव आदि ने शिक्षा मंत्री को ईमेल के माध्यम से पत्र प्रेषित कर मांग की है कि अध्यापक संवर्ग के लोक सेवकों के शीघ्र एम्पलाई कोड जारी करने के निर्देश दिये जायें।