उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने नर्सिंग कॉलेज को मान्यता देने की प्रक्रिया में लगी रोक हटा दी है, अब छात्र नर्सिंग पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकेंगे। उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि यह निर्णय राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि नियमित जांच से नर्सिंग छात्रों को उच्च मानकों की शिक्षा का प्रदाय सुनिश्चित होगा।
उप-मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि राज्य सरकार नर्सिंग छात्रों के हितों की रक्षा करने और उनके उज्ज्वल भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश को स्वास्थ्य मानकों के क्षेत्र में शीर्ष राज्य बनाया जाए। चिकित्सा सेवाओं की प्रणाली को मजबूत करके हम राज्य के स्वास्थ्य मानकों में सुधार करेंगे और इसे एक उत्कृष्ट उदाहरण बनायेंगे।
उन्होंने कहा कि इस आदेश से न केवल छात्रों का भविष्य सुरक्षित होगा बल्कि इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में भी व्यापक सुधार होगा। नर्सिंग छात्रों को बेहतर शिक्षा और प्रशिक्षण मिलने से वे चिकित्सा क्षेत्र में एक अमूल्य संपत्ति बनेंगे, जिससे राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूती मिलेगी।
प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विवेक कुमार पोरवाल ने बताया कि उच्च न्यायालय ने नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है, जो अब तक रुकी हुई थी। इस निर्णय के साथ, 2024-25 सत्र से नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी जा सकेगी। उच्च न्यायालय ने सभी नर्सिंग कॉलेजों की वार्षिक निगरानी सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं। यह नियमित निगरानी प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाएगी और नर्सिंग छात्रों को गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करेगी।
इस निर्णय से अब छात्र नर्सिंग पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकेंगे, जिससे नर्सिंग के इच्छुक छात्रों को बड़े पैमाने पर लाभ मिलेगा और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को सुदृढ़ करने का मार्ग प्रशस्त होगा। साथ ही प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज (सरकारी और निजी दोनों) में प्रवेश के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन नर्सिंग काउंसिल द्वारा किया जायेगा। जिससे प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।