सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बिजली के उत्पादन के साथ ही बिजली की बचत कर बड़ी राशि बचाई जा सकती है। आगामी प्रदेश स्थापना दिवस पर एक सप्ताह अवधि का ऊर्जा साक्षरता अभियान संचालित किया जाए। जिस तरह घरों में बिजली का अपव्यय रोकने पर ध्यान दिया जाता है, उसी तरह सरकारी दफ्तरों में भी बिजली की बचत हमारी प्राथमिकता में होना चाहिए। बिजली बचाना हमारे स्वभाव का हिस्सा होना चाहिए। ऊर्जा विभाग द्वारा विद्युत उपयोगकर्ताओं को जागरूक बनाने पर निरंतर ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने मंत्रालय में ऊर्जा और नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभागों की समीक्षा की। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर वर्चुअली शामिल हुए।
सीएम चौहान ने कहा कि सोलर एनर्जी क्षेत्र में मध्यप्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है। विश्व धरोहर स्मारक स्थल साँची को प्रथम सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए निजी क्षेत्र भी सहयोग कर रहा है। केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश के इस मॉडल की सराहना की है। जहाँ ओंकारेश्वर में 600 मेगावाट क्षमता की फ्लोटिंग सोलर परियोजना अगले एक वर्ष में पूर्ण करने का लक्ष्य है, वहीं आगर-शाजापुर, नीमच सौर परियोजना, जिसकी क्षमता 1500 मेगावाट है, अगले वर्ष उत्पादन के लिए तैयार हो जाएगी। इस परियोजना के लिए विकासकों की चयन प्रक्रिया पूरी करते हुए भूमि आवंटन और अनुबंध हस्ताक्षर करने की कार्यवाही पूरी कर ली गई है। वर्तमान में सब-स्टेशन बनाने का कार्य चल रहा है। इसके अलावा 950 मेगावाट क्षमता की छतरपुर सौर परियोजना कार्य भी शीघ्र प्रारंभ होगा। मुरैना में भी 1400 मेगावाट की सौर परियोजना के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर बेस लाइन सर्वे का कार्य चल रहा है। इसके लिए 1750 हेक्टेयर भूमि आवंटित की जा चुकी है।
सीएम चौहान ने कहा कि कुसुम परियोजना के कार्यों को भी गति प्रदान की जाए। विशेषकर किसान को कृषि भूमि पर एक या दो मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र स्थापित करते हुए उपजाऊ जमीन पर ग्रीन हाउस निर्माण के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इस योजना में किसान को बैंक द्वारा ऋण उपलब्ध करवाने के प्रावधान किए गए हैं। बताया गया कि टीकमगढ़ जिले के खरगापुर में कुसुम-अ परियोजना के लिए पहल की गई है। कुसुम-ब परियोजना में प्रदेश में 6 हजार 787 पंप बीते वर्ष स्थापित किए गए हैं। अन्य एक हजार पात्र किसानों को सोलर पंप के लिए चिन्हांकित कर कार्यादेश जारी किए गए हैं। कुसुम-स परियोजना में प्रथम चरण में 8 मेगावॉट के विकासकों के चयन, द्वितीय चरण में 1250 मेगावॉट और भविष्य की 1250 मेगावॉट क्षमता की परियोजना के लिए राजस्व भूमि प्रदान करने की कार्यवाही प्रचलन में है।
बताया गया कि भारत सरकार के उपक्रम इंडिया ऑयल कार्पोरेशन ने सूर्य-नूतन नाम से सोलर कुकर विकसित किया है। इसे प्रदेश के विभिन्न स्थान पर प्रदर्शन के रूप में स्थापित करने पर सहमति हुई है। इंडियन ऑयल कार्पोरेशन, कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए वाहनों में एच- सीएनजी पर प्रयोग कर चुका है। कार्पोरेशन का प्रस्ताव है कि प्रायोगिक तौर पर इसका उपयोग प्रदेश की चुनिंदा सीएनजी बसों के लिए किया जाए।
सीएम चौहान ने पिछली विभागीय समीक्षा बैठक में लिए गए निर्णयों पर ऊर्जा विभाग द्वारा किए गए अच्छे क्रियान्वयन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्युत देयकों की वसूली में वृद्धि, राज्य शासन द्वारा दी गई सब्सिडी के फलस्वरूप किसानों और अन्य वर्गों को मिली राहत, पारेषण हानि में कमी, विद्युत फॉल्ट की निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक के सफल प्रयोग, करीब 10 हजार टॉवर्स पर नजर रख कर विद्युत प्रदाय व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने और हाल ही में तेज बारिश के दिनों में शहरों और ग्रामों में तत्परतापूर्वक फॉल्ट के सुधार कार्य सराहनीय हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं के साथ सम्पर्क और समन्वय में भी ऊर्जा विभाग अच्छा कार्य कर रहा है। उपभोक्ता का संतुष्टि स्तर श्रेष्ठ बना रहे, इसके लिए लाइनमैन से लेकर अभियंताओं तक सम्पूर्ण अमला आगे भी सजग और सक्रिय बना रहे, यह आवश्यक है।