मप्र ततीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञाति में बताया कि गृह मंत्रालय की उदासीनता के कारण मध्य प्रदेश में रिक्त पड़े आरक्षक के हजारों पदों पर भर्ती नहीं हो पा रही है, जिसके कारण शिक्षित बेरोजगारों के साथ-साथ पुलिस महकमे के पुलिसकर्मियो में भी आक्रोश व्याप्त है।
विगत तीन वर्षों से विभाग द्वारा आरक्षकों की भर्ती भी नहीं की जा रही है, इसी बीच सैकड़ों पुलिसकर्मी प्रति माह सेवानिवृत हो रहे हैं। वहीं दो वर्षों से कोरोना महामारी के साथ-साथ अन्य वीआईपी ड्यूटी के साथ ही त्योहारों में ड्यूटी, यातायात सुधार, बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में पुलिस बल की कमी के कारण जो पुलिस कर्मी कार्य कर रहे हैं, उन्हें न तो शारीरिक विश्राम मिल पा रहा है और न ही मानसिक।
वहीं दिन-प्रतिदिन बढ़ते हाई टेक अपराधों के बाद भी प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस विभाग में भर्ती न किया जाना, समझ के परे है। गृह विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग में अस्थाई व संविदा नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं हैं, उसके बाद भी हज़ारों पद आरक्षक के रिक्त पड़े हुए हैं। गृह विभाग की सुस्तता और उदासीनता के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अरवेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, नरेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, सुरेंद्र जैन, एमएल नामदेव, मुन्नालाल पटेल, प्रकाश सेन, संतोष दुबे, सुधेश श्रीवास्तव, मुकेश धनगर, सुशील डोंगरे, मनीष चौबे, राकेश दुबे, गणेश उपाध्याय, प्रणव साहू, श्याम नारायण तिवारी, नितिन शर्मा, मनीष लोहिया, धीरेन्द्र सोनी, मो तारिक, महेश कोरी, संतोष तिवारी आदि ने मुख्यमंत्री से माँग की है कि प्रदेश में पुलिस आरक्षकों के हजारों रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती प्रक्रिया चालू की जाए।