मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा है कि मध्य प्रदेश विद्युत मंडल एवं छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल का बंटवारा होने के बाद वर्ष 2002 में सभी विद्युत कंपनियां अस्तित्व में आई, जिसमें 6 प्रशासनिक अधिकारियों को मध्यप्रदेश शासन ने कंपनी चलाने का जिम्मा सौंप दिया गया।
उन्होंने कहा कि 20 वर्ष हो गए मध्य प्रदेश के 52 जिलों के विद्युत तंत्र को चलायमान रखने वाले नियमित कर्मी, संविदा कर्मी एवं आउटसोर्स कर्मी, जो लगातार करंट का कार्य करते हैं। वहीं जोखिम का कार्य करते हुए अनेक कर्मचारियों की मृत्यु हो गई। अनेक अपंग हो गए, अनेक की रीढ़ की हड्डी टूट गई। इसके बाद भी कंपनी प्रबंधन के द्वारा आज तक इनका बीमा नहीं किया और ना ही कैशलेस की सुविधा दी गई।
दूसरी ओर देखा जाए तो सड़क में चलने वाला मजदूर, किसान, गरीब को भारत के प्रधानमंत्री जी के द्वारा 5 लाख की बीमा की सुविधा दी गई, जिससे भारत के करोड़ों लोगों को इसका फायदा हुआ। मगर जोखिम का कार्य करने वाले विद्युत कर्मी हैं, जिन पर आज तक कंपनी प्रबंधन के द्वारा ध्यान नहीं दिया गया।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोष्टा, अरुण मालवीय, टी डेविड, इंद्रपाल सिंह, सुरेंद्र मिश्रा, ख्यालीराम, राम शंकर, आजाद सकवार, जगदीश मेहरा, शशि उपाध्याय, विनोद दास, महेश पटेल, अमीन अंसारी, मदन पटेल, दशरथ शर्मा आदि ने सभी कंपनी प्रबंधकों से मांग की है कि नियमित कर्मी, संविदा कर्मी और आउटसोर्स कर्मी इन सभी का बीमा किया जावे। 20 लाख रुपए का जीवन बीमा और दुर्घटना होने पर इलाज के लिए 5 लाख का बीमा किया जावे एवं कैशलेस की सुविधा दी जाए।