मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया की शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 लागू होने के पश्चात राज्य अध्यापक शिक्षा परिषद भारत के राजपत्र दिनांक 29 जुलाई 2011 को जारी अधिसूचना की जानकारी अनुसार कक्षा 1 से 5 तक एवं कक्षा 6 से 8 तक के लिए शिक्षक पद पर न्यूनतम अर्हता निर्धारित करते हुए अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया है, किन्तु जबलपुर के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा अपने अलग-अलग वर्षों के कार्यकालों में की गई अनुकंपा नियुक्तियों में 29 जुलाई 2011 को जारी अधिसूचना की अनदेखी करते हुए बिना निर्धारित न्यूनतम योग्यता के शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण किये अपात्र अभ्यर्थियों की अनुकंपा भारी भ्रष्टाचार किया गया है।
उक्त अपात्र एवं नियम विरुद्ध अनुकंपा नियुक्तियों की गूंज मध्यप्रदेश विधान सभा में अतारांकित प्रश्न क्रमांक 1975 के माध्यम से उठी, सरकार द्वारा जांच का आश्वासन देकर कार्यवाही को लंबित रखा गया है। नियम विरूद्ध अनुकंपा नियुक्तियों में वर्ष 2012 से आज तक शासन को लगभग रु 5 करोड़ की शासन को आर्थिक क्षति पुहंचाई गई है।
संघ योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चन्देल, एसपी बाथरे, चूरामन गुर्जर, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटैल, विवेक तिवारी, साहिल सिद्दीकी, आदि ने प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री से मांग की है कि नियम विरुद्ध अनुकंपा नियुक्ति करने वाले प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर पर पद से हटाते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे।