मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि मप्र शासन के आदेशानुसार अपने लोक सेवकों की शासकीय सेवा के दौरान मृत्यु होने पर उनके आश्रित परिवार को 24 घण्टों के अन्दर अनुग्रह राशि 50,000 रुपये दिये जाने का प्रावधान है। किन्तु शिक्षा विभाग ने तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए एक प्राचार्य की 15 दिन पूर्व आकस्मिक मृत्यु हो जाने के बाद भी प्राचार्य के आश्रित परिवार को विभाग द्वारा आज दिनांक अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं किया गया है।
जब एक संकुल प्राचार्य के परिवार के साथ विभाग इस तरह का असंवेदहीन हो जाये तो आम शिक्षकों के साथ क्या होता होगा इसकी कल्पना की जा सकती है? जबलपुर शिक्षा विभाग के मुखिया की तानाशाही, हटधर्मिता एवं भ्रष्टाचार के चलते सारी मानवीयता, संवेदनायें शून्य हो गई हैं। शिक्षा विभाग की इस लचर कार्य प्रणाली के चलते पूरे जिले में हाहाकार मचा हुआ।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, वीरेन्द्र चन्देल, एसपी वाथरे, चूरामन गुर्जर, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटैल, रमेश उपाध्याय, प्रशांत श्रीवास्तव, शाहिल सिद्दीकी, गोविन्द विलथेर, रजनीश तिवारी, डीडी गुप्ता, आदि ने कलेक्टर जबलपुर से मांग की गई है कि मृत शासकीय लोक सेवक के आश्रित परिवार को शीघ्र अनुग्रह राशि तथा उनके सभी स्वत्वों का भुगतान कराया जावे तथा विलंब लिए दोषी शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों पर कार्यवाही की जावे।