बिजली विभाग के संविदा विद्युत कर्मचारियों के साथ फिर हुआ भेदभाव, फिर नहीं मिला कुछ

मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 11 प्रतिशत की दर से वृद्धि करते हुए 20 प्रतिशत से 31 प्रतिशत की घोषणा की थी, जिसका आदेश वित्त विभाग द्वारा 21 मार्च 2022 को जारी हुआ था। इसी आदेश के अनुरूप एमपी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड जबलपुर द्वारा गुरूवार 24 मार्च को विद्युत कर्मचारियों अधिकारियों को 31 प्रतिशत मंहगाई भत्ता देने का आदेश जारी किया गया है।

इस बाद एक बार फिर संविदा विद्युत कर्मचारियों को अनदेखा करते हुए उन्हें 20 प्रतिशत मंहगाई भत्ते से 31 प्रतिशत मंहगाई भत्ता देने संबंधित कोई आदेश जारी नहीं किया। जिससे प्रदेश के लगभग 6 से 7 हजार विद्युत संविदा कर्मचारियों को आज फिर से निराशा ही हाथ लगी है, जिस बारे में विद्युत कंपनी प्रबंधन और सरकार के प्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए है।

संविदा कर्मचारी लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं की नियमित कर्मचारी के समान महंगाई भत्ता हमें भी दिया जाए। बिजली कर्मचारियों का संगठन एमपी यूनाइटेड फोरम ने विद्युत विभाग में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की संविदा नीति 2018 में संशोधन हेतु लगातार ऊर्जा मंत्री, प्रमुख सचिव ऊर्जा से मांग की जा रही है। उस मांग में इस बात का प्रावधान भी है कि जिस प्रकार नियमित कर्मचारियों को साल में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाता है। उसी प्रावधान के तहत संविदा कमज़्चारियों को भी साल में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाना चाहिए।

संगठन के ज्ञापन पर कार्यवाही करते हुए ऊर्जा मंत्री ने संविदा पाल्सी 2018 में संशोधन हेतु ऊर्जा सचिव प्रमुख को पत्र लिखा गया है लेकिन आज तक उस पर प्रमुख सचिव द्वारा किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई जिस पर समस्त विद्युत संविदा कर्मचारी हताश है और आगामी समय में भोपाल में कोई बड़ा आंदोलन करने का रूपरेखा बनाई जा रही है।

विद्युत संविदा कर्मचारियों ने बिजली प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जब सारे काम नियमित कर्मचारियों के समान संविदा कर्मचारियों से लिए जाते हैं, लेकिन जब सुविधा देने की बात आती है, तब संविदा नियमावली का प्रावधान बताकर सुविधाओं के साथ कटौती कर दी जाती है।