पंडित योगेन्द्र दुबे ने जारी विज्ञप्ति में बताया की जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर के पद पर सहायक संचालक स्तर के कनिष्ठ अधिकारी पदस्थ हैं। जबलपुर जिले में पूर्णकालिक उपसंचालक संचालक स्तर का अधिकारी पदस्थ न होने के कारण जबलपुर जिले में समकक्ष अथवा सहायक संचालक स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रशासनिक निर्देशों व आदेशों का पालन नहीं करा पाते है, जिससे जबलपुर में शैक्षणिक, प्रशासनिक गतिविधियां एवं अन्य गतिविधियों में जबलपुर अन्य जिलों के मुकाबले पिछडा हुआ है।
योगेन्द्र दुबे ने कहा कि जबलपुर जिले के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के दो वर्षो काले कार्यकाल में भ्रष्टाचार के नित नये आयाम कायम किये गये, शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उडाते हुए पोर्टल को अपडेट न करते हुए स्थानांतरण उद्योग के नाम पर ग्रामीण क्षेत्र शालाओं शिक्षक विहीन करते हुए शहरी क्षेत्र की शालाओं छात्रों की संख्या के अनुपात में अधिक शिक्षक पदस्थ कराकर पद रिक्त न होते हुए भी प्राचार्यो को कार्यभार ग्रहण कराने, कार्यमुक्त करने के लिए करने के लिए अनावश्यक दबाव बनाया गया।
प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा अपने नियंत्रण के बाहर के जिले सतना में आपसी स्थानांतरण कर दिया गया, इनके द्वारा संचालनालय स्तर से लिपिक का स्थानांतरण होने के बाद भी हटधर्मिता करते हुए कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है, नियम विरूद्ध अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर अनावश्यक न्यायालयीन प्रकरण उदभूत किये गये, कार्यालय में अपने चहेते शिक्षकों को शालाओं से संलग्न कर उनसे दलाली कराई जा रही है, प्रभारी डीईओ के दलाल शिक्षक विद्यालय में पढाई छोड़कर कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर लचर कार्य व्यवस्था से शिक्षा विभाग अंधकारमय हो रहा है ।
संघ के योगेन्द्र दुबे, राम दुबे, आलोक अग्निहोत्री, रमाकांत मिश्रा, हेमन्त पटैल आदि ने प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी को हटाने की मांग की है। मांग पूरी न होने की स्थिति संघ पदाधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री के जबलपुर प्रवास के दौरान विरोध स्वरूप काले झंडे दिखाये जावेगें।