मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि जिले के साथ-साथ प्रदेश में चल रहे सर्व शिक्षा अभियान के तहत कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के लिए ब्लॉक स्तर पर जनपद शिक्षा केंद्र व जिला स्तर पर जिला शिक्षा केंद्र खोले गए हैं।
जिनमें बीआरसी से लेकर डीपीसी तक की प्रतिनियुक्ति की गई है, शासन की मंशा थी कि इस व्यवस्था से शिक्षा के स्तर व गुणवत्ता में सुधार आएगा। परंतु सुधार होना तो दूर इन अधिकारियों के बैठने से भ्रष्टाचार के नित नए आयाम खुल गए।
इसमें सुधार के लिए शासन द्वारा लगभग 5 वर्ष पूर्व एईओ (एरिया एजुकेशन ऑफिसर) की परीक्षा कराई गई थी, जिसमें हर विकासखंड व जिला स्तर पर एईओ रखे जाने थे, परीक्षा परिणाम आने के बाद भी आज दिनांक तक इनकी नियुक्ति नहीं हो पाई है।
जिससे डीपीसी व बीआरसी प्रथा निरंतर चली आ रही है तथा शासन द्वारा की जाने वाली 3 वर्ष की प्रतिनियुक्ति 6 से 8 वर्षों से निरंतर चली आ रही है, यह नियुक्ति एक प्रकार से स्थाई नियुक्ति बन गई है व भ्रष्टाचार का साधन बन गई है।
संघ के अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, बृजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डेय, मुन्ना लाल पटेल, बलराम नामदेव, चंदू जाऊलकर, गोविंद बिल्थरे, डीडी गुप्ता, तुषेन्द सिंह, नीरज कौरव, अमित गौतम, रितुराज गुप्ता, कीर्तिमान सिह, निशांक तिवारी, श्याम नारायण तिवारी, धीरेंद्र सोनी, मो. तारिक, प्रियांशु शुक्ला, महेश कोरी, संतोष तिवारी आदि ने शिक्षा मंत्री को ईमेल कर मांग की है कि डीपीसी बीआरसी प्रथा तत्काल समाप्त कर एईओ कि शीघ्र नियुक्ति की जाये।