मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि स्वास्थ्य विभाग के अधिनस्थ जिले में संचालित हेल्थ एण्ड वैलनेस सेन्टर में अधिकारियों की मिलीभगत से शासन की जन उपयोगी योजना को पतीला लगाया जा रहा है। जिले के प्रत्येक सेन्टर को इस वित्तीय वर्ष में 7 लाख रुपये भवनों के सुधार कार्यो व संसाधानों के उपयोग हेतु जारी किये गये हैं।
इन सेन्टरों जहां एक ओर शासन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया एवं नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शासन द्वारा प्रदत्त आवंटन का बन्दर-बांट किया जा रहा है। देखने में यह भी आया है कि इन सेन्टरों में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है, शौचालय एवं साफ-सफाई नहीं है, जिससे आने वाले मरीजों को कोरोना के संक्रमण के दौरान अत्यधिक कठनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।
जिले के हेल्थ एण्ड वेयरनैस सेन्टरो मे चल रहे निर्माण कार्यो मे गुणवत्ता का पूर्णतः अभाव है, अमानक संसाधनों का उपयोग कर अधिकारी एवं ठेकेदारों की मिलीभगत से शासन को लाखों का चूना लगाया जा रहा है, अधिकारियों एवं ठेकेदारों द्वारा आपदा में अवसर तलाशने की प्रवृत्ति की संगठन घोर निन्दा करता है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, नरेन्द्र दुबे, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, आशुतोष तिवारी, प्रकाश सेन, हिमांशु शुक्ला, गोविन्द विल्थरे, रजनीश तिवारी, डी.डी. गुप्ता, मनीष चौबे, तरूण पंचौली, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, विजय कोष्टी, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला, महेश कोरी, गणेश उपाध्याय, मनीष लोहिया आदि ने कलेक्टर जबलपुर से मांग की है कि जिले के स्वास्थ्य विभाग अधीनस्थ संचालित हेल्थ एण्ड वैलनेस सेन्टर की जांच कराकर शासन को लाखों का चूना लगाने वाले अधिकारियों एवं ठेकेदारों की जांच कर कठोर कार्यवाही की जाये।