Tuesday, November 5, 2024
Homeएमपीसरकार की बेरुखी के चलते कर्मचारियों को न्यायालय के आदेश के पश्चात...

सरकार की बेरुखी के चलते कर्मचारियों को न्यायालय के आदेश के पश्चात ही मिलते हैं लाभ

सरकार की बेरुखी और अधिकारियों की मनमानी के कारण सरकारी कर्मचारियों को अपने ही अधिकारों के लिए न्यायालय से आदेश लाने पड़ रहे है, अन्यथा अपने अधिकार को पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है और वे अपने हक के लाभों से वंचित रह जाते है। 

मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया है कि जून एवं दिसंबर में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को जुलाई एवं जनवरी का इंक्रीमेंट, मंत्रालय के लिपिक के समान सम्पूर्ण लिपिकों को ग्रेड पे का लाभ, वरिष्ठता के लिए दैनिक वेतन भोगी के समय को सेवा में जोड़ने, होमगार्ड कर्मचारियों को दो माह सेवा से प्रथक करने, कार्यभारित समयपालों को नियमित स्थापना कर्मी के समान लाभ देने के साथ ही आयुष्मान योजना का लाभ मेडिकल के कर्मचारियों को देने, वन विभाग में बीट गार्ड, सिपाही को वेतन मान, स्वस्थ विभाग के लैब कर्मी, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को योग्यता के अनुसार नियमितिकरण का लाभ, स्थाई दल के सभी कर्मचारियों को बिना न्यायलय के आदेश के ग्रेच्युटी का लाभ नहीं दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इन सभी स्तर के कर्मचारियों को सरकार द्वारा न्यायालय के आदेश के अनुसार लाभ देने के आदेश जारी किए जा रहे है। सरकार सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को लाभ दे रही है, जो न्यायालय के आदेश लेकर अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं, जिनके पास न्यायालय का आदेश नहीं है वे सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति का शिकार हो रहे हैं।

मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह एवं योगेंद्र दुबे ने बताया कि एक ही कार्यालय में न्यायालय के आदेश से कुछ को लाभ दिया जा रहा है, वहीं दूसरे कर्मचारी को यही लाभ नहीं दिया जा रहा है, जबकी हजारों कर्मचारी इसी श्रेणी में आते है। न्यायलय के आदेश के पश्चात शासन को मय ब्याज के राशि का भुगतान करना पड़ता है। शासन की छवि भी खराब होती है, कर्मचारी मात्र जीते हुए कर्मी के आदेश को लगा कर सिमलर आदेश पारित करवाने के पश्चात लाखों रुपए प्राप्त कर रहे है। न्यायालय में प्रकरण के निराकरण में सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों, वकील एवं कर्मचारियों पर अनावश्यक पैसे खर्च करने पड़ते है। अधिकारियों के न्यायालय में उपस्थित होने से विभागीय कार्य भी प्रभावित होते है।

मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, सुरेंद्र वर्मा, संतोष मिश्रा, विश्वदीप पटेरिया, नरेश शुक्ला, मुकेश सिंह, प्रशांत सोधिया, ब्रजेश मिश्रा, राजू मस्के, मंसूर बेग, योगेंद्र मिश्रा, देव दोनेरिया, इंद्रप्रताप यादव, विनय नामदेव ने न्यायालय के आदेश के अनुसार मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग से भी आदेश जारी करने की मांग की है। जिससे सभी पात्र अधिकारियों और कर्मचारियों को लाभ मिल सके।

संबंधित समाचार

ताजा खबर