मध्य प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने प्रदेश की बिजली कंपनियों के कायाकल्प के लिए जबलपुर में तीन दिन तक मंथन किया और सूत्रों की मानें तो इसके लिए 2 करोड़ रुपये खर्च कर दिये। बिजली कंपनी को इस मंथन से सुधार रूपी अमृत मिलेगा या नहीं ये तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति और विशिष्ट सेवाएं देने के दावों की हवा एक जर्जर विद्युत पोल की तस्वीर ने ही निकाल दी है, जिसमें बिजली कंपनी ही बैसाखी पर नजर आ रही है।
एक ओर जहां ऊर्जा विभाग के आला अधिकारी मैनपावर कम कर तकनीक को बढ़ावा देने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर मैदानी क्षेत्रों में कार्यरत तकनीकी कर्मचारियों को विपरीत परिस्थितियों में कार्य करना पड़ रहा है और अभी तक इन कर्मचारियों को टावर गाड़ी तक उपलब्ध नहीं हो सकी है।
वहीं इन दिनों सोशल मीडिया में एक तस्वीर वायरल हो रही है, जो बिजली कंपनी की स्थिति को बयां करने के लिए काफी है। तस्वीर में देखा जा सकता है कि सीमेंट के दो पोल पास-पास खड़े हैं और उन दोनों पोल से विद्युत लाइन जा रही है। तस्वीर में देखा जा सकता है कि सीमेंट के दोनों पोल टूटे और जर्जर अवस्था में खड़े हैं और उन्हें जुगाड के सहारे खड़ा रखने का प्रयत्न किया गया है।
इस वायरल तस्वीर को देखकर सबसे हैरानी वाली बात यह समझ में आती है कि जान का जोखिम उठाकर एक पोल पर चढ़कर तकनीकी कर्मचारी सुधार कार्य कर रहा है। इस तकनीकी कर्मचारी के आस-पास न तो टावर गाड़ी दिख रही है और न ही बांस की सीढ़ी दिखाई दे रही है। बिना किसी सहारे के पोल पर चढ़े तकनीकी कर्मचारी के पैरों में न सेफ्टी शूज हैं और न ही पोल पर सुरक्षित कार्य करने के लिए रस्सी का झूला है।
एक हाथ से जर्जर पोल को पकड़ कर ये तकनीकी कर्मचारी एक योद्धा की भांति जान हथेली पर लेकर करंट का कार्य कर रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये तस्वीर मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जबलपुर ओएंडएम सर्किल के पाटन डिवीजन के बेलखेड़ा डीसी के अंतर्गत मातनपुर गांव की बताई जा रही है।
ताज्जुब की बात है कि कंपनी का आधिकारिक मुख्यालय भी जबलपुर में ही है, जहां कंपनी प्रबंधन के तमाम आला अधिकारी बैठते हैं, लेकिन इस तकनीकी कर्मचारी की पीड़ा वातानुकूलित कार्यालयों में बैठे अधिकारी कहां समझेंगे, क्योंकि उन्हें धूप की तपिश का एहसास भी नहीं।