पिछले दिनों मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने एक बैठक के दौरान विद्युत कंपनियों के आला अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा था कि आउटसोर्स कर्मियों को समय पर वेतन नहीं देने वाली ठेका कंपनियों पर कार्यवाही की जाए।
इसके बावजूद आला विद्युत अधिकारी ठेका कंपनियों के आभा मंडल से इतना सम्मोहित हो चुके हैं कि वे ऊर्जा मंत्री के आदेश और निर्देश की धज्जियां उड़ाने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। यहां तक कि आउटसोर्स कर्मियों के शोषण पर भी मौन साधे रहते हैं। अब इसके पीछे कौन सी मजबूरी है, ये तो अधिकारी ही जानते हैं।
प्रदेश की विद्युत कंपनियों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण तो अब सामान्य कार्यशैली बन चुकी है, लेकिन बिना अवकाश कार्य कराने के बाद उन्हें वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्यालय और आला अधिकारियों की नाक के नीचे ही आउटसोर्स कर्मियों का शोषण बदस्तूर जारी है।
उन्होंने बताया कि अधीक्षण अभियंता जबलपुर ग्रामीण सर्किल के अंतर्गत पाटन,सिहोरा एवं जबलपुर के संभागीय कार्यपालन अभियंता के अधीन पदस्थ लगभग 600 ठेका कर्मियों को क्रिस्टल कंपनी के द्वारा इस महीने वेतन ना देने की वजह से उन्हें खाने के लाले पड़ गए हैं। संघ के द्वारा पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की गई है कि क्रिस्टल कंपनी के द्वारा आउटसोर्स कर्मियों को वेतन ना देने के कारण उसे तत्काल बाहर का रास्ता दिखाया जाए।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, सुरेंद्र मेश्राम, लखन सिंह राजपूत, टी. डेविड, दशरथ शर्मा, शशि उपाध्याय, मदन पटेल, ख्यालीराम, रामशंकर, कुमारी मोना, कुमारी प्रीति आदि के द्वारा सोमवार को शाम 5 बजे मुख्य अभियंता जबलपुर क्षेत्र को ज्ञापन सौंपकर आउटसोर्स कर्मियों को वेतन दिए जाने तथा ठेका कंपनी क्रिस्टल पर कार्यवाही करने की मांग की जाएगी।