मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री, श्रम मंत्री तथा प्रमुख ऊर्जा सचिव को पत्र लिखकर बताया है कि हर माह विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों में लगातार सैकड़ों की तादाद में करंट का कार्य करने वाले लाइनमैन सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं। नियमित कर्मचारियों की कमी के कारण प्रदेश की बिजली व्यवस्था किसी दिन भी ठप हो सकती है।
विद्युत तंत्र को जानने वाले कर्मचारियों की अत्याधिक कमी होती जा रही है। एक पोल में 3-3 जगह की सप्लाई आती है, बगैर जानने वाला विद्युत कर्मी कार्य करेगा तो करंट लगकर दुर्घटना हो सकती है। वहीं वर्ष 1988 से लाइन कर्मियों का प्रमोशन नहीं किया गया है। एक ही पद पर 30 वर्षों से कार्य करते हुए सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं।
नियमित कर्मचारियों के बदले विद्युत कंपनियों में संविदा कर्मचारियों की भर्ती की गई थी, उनके अनुबंध में लिखा है कि करंट का कार्य नहीं करना है। वहीं सभी कंपनियों में ठेका कंपनियों के द्वारा 30,000 से ज्यादा आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती की गई है। उनको भी करंट का कार्य करने का अधिकार नहीं है।
नियमित कर्मचारियों की कमी होने के बाद उपभोक्ताओं की बंद बिजली को आखिर चालू कौन करेगा। मेंटेनेंस का कार्य कौन करेगा। मध्यप्रदेश शासन एवं सभी कंपनी प्रबंधन इतना बड़ी औद्योगिक संस्था को किस ओर ले जा रहे हैं। यह सब समझ से परे है।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, एसके मोर्या, रमेश रजक, केएल लोखंडे, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, शशि उपाध्याय, अजय कश्यप, महेश पटेल, लखन राजपूत, ख्यालीराम, टी डेविड, राम शंकर, जेके कोष्टा, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, सुरेंद्र मेश्राम आदि ने मध्य प्रदेश शासन एवं विद्युत मंडल की सभी कंपनियों के प्रबंधकों से मांग की है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए एवं आउटसोर्स कर्मियों का विद्युत कंपनियों में संविलियन किया जाये। संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों को कार्य करने का अच्छा अनुभव हो गया है।