Saturday, October 19, 2024
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कर्मी को दिया जाए सरकारी आवास का मालिकाना हक, रिटायरमेंट तक वेतन से कट चुके होते हैं 25 से 30 लाख

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया है कि कुछ अधिकारी और कर्मचारी 35 से 40 वर्ष से सरकारी आवास में रह रहे है। उन्होंने किराए से रहते हुए करीबन 30 लाख रुपये विभागों को दे दिये है। रिटायरमेंट के पश्चात रिक्त सरकारी आवास की अधिकारी अथवा कर्मचारी के नाम रजिस्ट्री कर दे देना चाहिए।      

कर्मचारियों को जिस समय सरकारी आवास आवंटित किए गए थे उस समय आवास की कीमत जितनी थी, उससे अधिक कर्मचारी किराया दे चुके है। अनेक कर्मचारियों ने आवास में अस्थाई निर्माण करवाये हैं। अपने खर्चे पर मरम्मत के अनेक कार्य करवाये है। भारत सरकार की स्वयं का आवास देने की योजना है। इस दिशा में 2.50 लाख सरकार छूट भी दे रही है। आज लंबे समय सरकारी नौकरी करने वाले अनेक कर्मचारियों के स्वयं के आवास नहीं हैं, रिटायरमेन्ट के पश्चात वह महंगे आवास नहीं खरीद पाएंगे। उसके परिवार को जीवन भर किराये के आवास में रहना पड़ेगा। 

शंकर शाह नगर, मेडिकल कालोनी, पुलिस क्वाटर, वन, शिक्षा, आईटीआई, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, बरगी हिल्स, स्वास्थ्य विभाग, महिला आईटीआई आदि विभाग के हजारों कर्मचारी किराये के आवास में रहकर रिटायर हो रहे है।

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा केयोगेंद्र दुबे, अटल उपाध्याय, रविकांत दहायत, विश्वदीप पटेरिया, मुकेश मरकाम, संतोष मिश्रा, नरेश शुक्ला, संजय गुजराल, प्रशांत सोंधिया, यूएस करोसिया, देव दोनेरिया, एसके बांदिल, प्रदीप पटेल, धीरेन्द्र सिंह, अजय दुबे, योगेंद्र मिश्रा, संदीप नेमा, मनोज रॉय, आशुतोष तिवारी, नरेंद्र सेन, चंदू जाऊलकर, मनोज खन्ना, रवि बांगड़ आदि ने रिटायर होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को जिस आवास में वह लंबे समय से किराये से रह रहे हैं, कुछ ग्रेच्यूटी या पेंशन से मिलने वाली राशि लेकर उस आवास की रजिस्ट्री उसके नाम करने की मांग की है, जिससे कर्मचारी के परिजनों को जीवन भर किराये के मकान में ना रहना पड़े।

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