प्रदेश शासन के अधीन कार्यरत लाखों अधिकारी एवं कर्मचारी मुख्यमंत्री चिकित्सा योजना के लाभ से वंचित है, जबकि शासन पूर्व में इसका लाभ देना चाह रही है। योजना लागू ना होने से अनेक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, बच्चे गंभीर बीमारियों का शासन के खर्चे पर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज नहीं करा पा रहे है।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिला संरक्षक योगेन्द्र दुबे, जिलाध्यक्ष अध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया है कि प्रदेश के लाखों अधिकारी कर्मचारी महंगे इलाज ना करा पाने के कारण अधूरे इलाज में ही दम तोड़ रहे है, मुख्यमंत्री चिकित्सा योजना की लंबी कार्यवाही हो चुकी है। प्रतिमाह वेतन से कटने वाली राशि भी निर्धारित हो चुकी है, कार्यालयों में कार्यरत समस्त सदस्यों की पूरी जानकारी भी लगभग 1 वर्ष पूर्व ही अपडेट हो चुकी है, लेकिन आदेश जारी नहीं किये गए, इसलिए आज इस योजना का लाभ किसी को भी नहीं मिल रहा है।
केंद्रीय कर्मचारियों को मिल रही सीजीएचएस चिकित्सा योजना के अनुसार प्रदेश के कर्मचारियों को भी चिकित्सा इलाज की सुविधा मिलना अत्यंत आवश्यक है, जिससे सरकार की जनहितैषी योजना का लाभ कर्मचारियों के परिजनों को भी मिल सके।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, नरेश शुक्ला, संतोष मिश्रा, विश्वदीप पटेरिया, मंसूर बेग, योगेंद्र मिश्रा, सतीश उपाध्याय, अजय दुबे, रजनीश तिवारी, नरेंद्र सैन, सुरेंद्र जैन, संदीप नेमा, विनय नामदेव, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, गोविन्द विल्थरे, एसपी बाथरे, वीरेन्द्र चन्देल ने मुख्यमंत्री चिकित्सा बीमा योजना लागू करने के आदेश जारी कर कर्मचारियों और उन पर आश्रित, बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, बच्चों को उपचार का लाभ दिए जाने की मांग की है।