मप्र यूनाइटेड फोरम के ज्ञापन पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने प्रमुख सचिव ऊर्जा को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि ज्ञापन में उल्लेखित बिंदुओं का निराकरण कर अवगत कराएं। अगर ऊर्जा मंत्री के निर्देशानुसार संविदा नीति में संशोधन किया जाता है तो विद्युत कंपनियों के संविदा कर्मियों की कई लंबित मांगें पूरी हो सकती हैं।
संगठन के सह मीडिया प्रभारी महावीर सिंह ने बताया कि उक्त ज्ञापन के माध्यम से संविदा नीति 2018 में सुधार हेतु त्वरित कदम उठाने हेतु ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर को पत्र के माध्यम से संविदा नीति 2018 में संशोधन हेतु पत्र लिखने का अनुरोध किया। काफी लंबे समय से विद्युत संविदा अधिकारी कर्मचारी संविदा नीति में सुधार करने के लिए ऊर्जा मंत्री मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक संविदा नीति में सुधार नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि इस कारण मध्य प्रदेश के संपूर्ण जिले के विधायक, सांसद जनप्रतिनिधियों को संविदा नीति में सुधार हेतु ज्ञापन दिया जा रहा है। इससे पहले मध्य प्रदेश के सभी जिलों से स्पीड पोस्ट के माध्यम से ज्ञापन को ऊर्जा मंत्री को पोस्ट किया गया है। ज्ञापन के बाद भी समस्या हल नहीं होती है तो संपूर्ण मध्य प्रदेश से बिजली कर्मी भोपाल में बड़ा आंदोलन करेंगे।
संविदा नीति में सुधार के बिंदु
1. संविदा अनुबंध को निरंतर 60 वर्ष तक किया जाए 3 दिन का अंतर खत्म किया जाए।
2.गृह जिला ट्रांसफर नीति बनाई जाए।
3. संविदा कर्मचारी का निष्कासन नियमित कर्मचारी के समान किया जाए।
4. संविदा कर्मचारी का महंगाई भत्ता 3% किया जाए वर्तमान में संविदा को 1% महंगाई भत्ता दिया जाता है नियमित कर्मचारी के समान साल में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाए।
5. चिकित्सा पूर्ति ,दुर्घटना बीमा, पेंशन, अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
6. संविदा कर्मी को जोखिम भत्ता, नेशनल हॉलिडे, रात्रि कालीन हॉलीडे अलाउंस दिए जाएं।
7. संविदा कर्मचारी का एक्सीडेंटल मृत्यु उपरांत 4 लाख बीमा राशि से बढ़ाकर ₹50 लाख किया जाए।
8. परीक्षण सहायक 2013 बेच को परीक्षण कराने के बाद नियमित किया जाए।
09. संविदा पाल्सी 2018 लागू होने के बाद पूर्व क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र कंपनी में nps कटना बंद हो गया है पूर्व की भांति एनपीएस चालू किया जाए, ट्रांसमिशन कंपनी में nps कटौती चालू की जाए।
10. संविदा कर्मचारी को वर्तमान वेतन का वास्तविक 90% दिया जाए।
11. लाइन अटेंडेंट कर्मचारियों को आईटीआई उत्तरी होने के बाद भी चतुर्थ श्रेणी में रखा गया है, उन्हें तृतीय श्रेणी में किया जाए।