एमपी की बिजली कंपनियों में इन दिनों मेंटेनेंस का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही वित्तीय वर्ष का अंतिम माह होने के कारण मैदानी अधिकारी राजस्व वसूली में जुटे हुए हैं और अभियान चलाकर बकायादारों के बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं। मेंटेनेंस के कार्य और बिजली कनेक्शन काटे जाने के दौरान अधिकारियों द्वारा सुरक्षा मानकों की जानलेवा अनदेखी की जा रही है।
बिजली कंपनी द्वारा सोशल मीडिया में जारी कुछ तस्वीरों से ये बात स्पष्ट हो रही है कि मैदानी अधिकारी ये नहीं देखते पोल पर चढ़कर मैनेटेंस अथवा बिजली लाइन काटने वाले लाइन कर्मियों के पास सुरक्षा उपकरण है कि नहीं। सोशल मीडिया पोस्ट की गई कुछ तस्वीरों में ये साफ दिख रहा है कि ऊंचे पोल पर चढ़े लाइन कर्मी ने ना तो हेलमेट लगाया है और ना ही आसपास बांस की सीढ़ी या टावर गाड़ी दिख रही है और न ही उनके हाथों में हैंड ग्लब्स दिख रहे हैं। लाइनकर्मी एकमात्र रस्सी के झूले के सहारे एक हाथ से पोल पकड़कर दूसरे हाथ से कार्य कर रहे हैं, जबकि रस्सी का झूला टूटने से पूर्व में कई दुर्घटनाएं घटित हो चुकी हैं।
इस दौरान अगर अचानक लाइन चालू हो जाए या कहीं से रिवर्स करेंट आ जाए तो हादसा होना तय है, ऐसे में इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। वहीं लाइन कर्मी बिना सेफ्टी शू के नंगे पांव दिखाई दे रहा है। पोल पर चढ़ाकर कार्य करेंट का कार्य कराने वाले अधिकारी ने इस दौरान जोखिम को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया है, जो कि लाइन कर्मियों के लिए जानलेवा भी हो सकता है।
तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि संघ द्वारा अनेक बार अधिकारियों को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि लाइन पर करने वाले लाइनमैन और सहायक लाइनमैन को सुरक्षा उपकरण नही दिए जाते, उनके पास अधिकांशतः सुरक्षा उपकरणों का अभाव रहता है। संघ ने ये भी मांग की है कि अधिकारियों के द्वारा समय-समय सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता की जांच की जाए, जो कि अधिकारी नहीं करते।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि अक्सर ये देखा जाता है कि अधिकारियों के दबाव के चलते लाइन कर्मी बिना सुरक्षा उपकरणों के ही करेंट का जोखिम पूर्ण कार्य करता है, वहीं अगर इस दौरान कोई दुर्घटना हो जाए तो अधिकारी लीपा-पोती में जुट जाते हैं और इसका सारा दोष लाइन कर्मी पर ही मढ़ दिया जाता है और नोटिस थमा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को करेंट का कार्य कराए जाने से पहले सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता की जांच की जानी चाहिए और बिना सुरक्षा उपकरण लाइन कर्मियों से जोखिमपूर्ण कार्य नहीं कराना चाहिए।